नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का बजट पेश किया। 45 लाख करोड़ रुपए आकार वाली महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में राज्य सरकार का सालाना बजट 7 लाख 20 हजार करोड़ रुपए है।राज्य की तिजोरी पर 9 लाख 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ है। 45 हजार करोड़ रुपए की राजस्व आमदनी घाटे में चल रही है। राजकोषीय घाटा 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ चुका है। सरकार को कर्ज़ के ब्याज के रूप मे हर साल 74 हजार करोड़ रुपए चुकाने पड़ रहे है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से हर साल मिलने वाला 70 हजार करोड़ रुपए का ऋण 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए ब्याज के साथ चुकाने तक बैन कर दिया गया है। 1995 में महाराष्ट्र सरकार पर 44 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ था जो 2014 में 2 लाख 65 हज़ार करोड़ रुपए था। 2014 से 2025 देवेन्द्र फडणवीस के शासन काल में कर्ज़ में 6 लाख 65 हज़ार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो कर कुल कर्ज 9 लाख 30 हजार करोड़ रुपए हो चुका है। बजट में 7 हजार किमी की अच्छी सड़के उखाड़कर उन्हें कमीशन के लिए कांक्रीट का बनाया जाएगा।
लाडली बहन योजना के 10 हजार करोड़ रुपए बजट से काट दिए गए हैं। शिवभोजन थाली का 15 करोड़ रुपया बजट में नहीं है।संजय गांधी वृद्ध पेंशन योजना का पैसा रुक गया है। सरकारी विभागो मे 10 हजार रुपए महीने पर पोसे जा रहे बीजेपी प्रचारको को निकालकर उनकी जगह बेरोजगारों की नौकर भर्ती करने के बारे में सरकार के पास कोई योजना नहीं है। नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत सरकार पर 225 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ चढ़ गया है जो 2014 में 54 लाख करोड़ रुपए था। इस ऋण का सालाना ब्याज करीब 20 लाख करोड़ रुपए है। इस कर्ज़ का बोझ को राज्यों से प्रचंड GST वसूलकर ढोया जा रहा है। केंद्र का बजट 51 लाख करोड़ रुपए का है। गौतम अदानी को बचाने के लिए मामूली टैरिफ लगाकर एलन मस्क की TESLA और STAR LINK के लिए भारत का बाजार खोला जा रहा है। वर्चस्ववादी सोच वाली मोदी सरकार के पूंजीवाद ने देश की जनता की आंखों पर धर्म का 3D चश्मा लगाकर उसे उस अंधियारे सिनेमा हॉल में छोड़ दिया है जहां उसे हिंदुराष्ट्र की फ़िल्म दिखाई जा रही है।
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