ब्रांडेड कंपनियों का लेबल लगा कर नकली आयल बना कर बेचने वाली कंपनी का पर्दाफाश | New India Times

अश्वनी मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT; ​

जिला उद्योग कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित पाइप फैक्ट्री में नियमों और तकनीकी को दरकिनार कर दोपहिया वाहनों के आॅइल पैकिंग का कारोबार चल रहा था, जहां पर खाली डिब्बों में ड्रम से आॅइल भरकर कई नामी गिरामी कंपनी के नाम के रेपर लगाकर पैकिंग की जा रही थी। यह खेल पाइप फैक्ट्री के संचालक की सहमति से कई महीनों से धड़ल्ले से चल रहा था। मामला उजागर होने के बाद आनन-फानन मे पाइप फैक्ट्री के संचालक द्वारा उसे वहां से रातों रात हटवा दिया गया। वहीं उद्योग विभाग अपनी खामियों को छिपाने के लिए कार्रवाई करने की बात कर रहा है।​ब्रांडेड कंपनियों का लेबल लगा कर नकली आयल बना कर बेचने वाली कंपनी का पर्दाफाश | New India Times

दो कमरो में चल रहा था आॅइल पैकिंग का अवैध कारोबार

डालडा फैक्ट्री रोड पर स्थित पाइप फैक्ट्री में दो छोटे से कमरों में दोपहिया वाहनों के आॅइल बनाकर पैकिंग की जा रही थी। एक कमरे में बड़ी मात्रा में विभिन्न कंपनी के नाम के रेपर रखे हुए थे, वहीं दूसरे कमरे में ड्रम में नल लगाकर आॅइल की पैकिंग की जा रही थी। खाली डिब्बे उनके ढक्कन और नल लगी हुई ड्रम खुद यह बयां कर रही है।​ब्रांडेड कंपनियों का लेबल लगा कर नकली आयल बना कर बेचने वाली कंपनी का पर्दाफाश | New India Times

बिना तकनीक के बनाया जा रहा था आॅइल

पाइप फैक्ट्री में बन रहा आॅइल बिना तकनीक के निर्माण और पैकिंग हो रहा था। वहां पर दो कर्मचारी थे, वे तकनीकी रूप से दक्ष भी नहीं थे। उक्त कर्मचारी इलेक्ट्रिक प्रेस से आॅइल के डिब्बों पर रेपर चिपका रहे थे। इसके अलावा पाइप फैक्ट्री के इन दो कमरों में कई कंपनियों के ड्रम से लेकर रेपर भी रखे हुए थे। पाइप फैक्ट्री के दो कमरों में सर्वो, गल्फ और अन्य नामी गिरामी कंपनियों के आॅइल ड्रम रखे हुए थे।​ब्रांडेड कंपनियों का लेबल लगा कर नकली आयल बना कर बेचने वाली कंपनी का पर्दाफाश | New India Times

सिवनी सहित छिंदवाड़ा, बालाघाट और नरसिंहपुर में होता था सप्लाई

सिवनी के इस पाइप फैक्ट्री में बनाए जा रहे दोपहिया वाहनों के आॅइल की यह पैकिंग बड़ी मात्रा में होती थी। सूत्रों की मानें तो सिवनी जिले के अलावा बालाघाट,  छिंदवाड़ा सहित नरसिंहपुर और आसपास के जिलों में ऑटो पार्ट्स की दुकानों में यह ऑयल पहुंचाए जाने का काम कई वर्षों से किया जा रहा था।

उद्योग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था कारोबार

उद्योग विभाग के जनरल मैनेजर डीके बरकड़े बताते हैं कि विभाग के नियमों के तहत हर साल उद्योग की जांच-पड़ताल की जाती है। पता किया जाता है कि उद्योग संचालित है या बंद है। कौन सा उद्योग संचालित हो रहा है। ऐसे में उद्योग विभाग के अफसरों को पाइप फैक्ट्री में नियम विरूद्ध चल रही आॅइल फैक्ट्री आखिर क्यों नजर नहीं आई यह उद्योग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर करने के लिए काफी है।


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By nit

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