जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

भोपाल के 10 वर्ष पूर्व पार्षद गोविंद जाट द्वारा अतिक्रमण शाखा के स्टोर प्रभारी फैजान खान पर दो वर्ष पुराना मामला है, हाथ ठेले छुड़ाने को लेकर बात करते देखे गए पूर्व पार्षद द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था जिसका भोपाल नगर निगम अतिक्रमण कर्मचारी फैजान खान द्वारा विरोध किया गया। मामला ना बनता देख कुछ समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित कराई गई। रणनीति बनाकर तैयार है किया गये खबर में ही स्पष्ट लिखा है पुराने मामले में पूर्व पार्षद द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई ताकि फैजान पर बड़ा दबाव बनाया जा सके और उसे नौकरी से बर्खास्त करवाया जाए। ऐसे समाचार पत्रों के पर भी सवाल खड़ा होता है कि एक पक्षी कार्रवाई कैसे लिखी जाती है जबकि दोनों पक्षों का न्यायालय की तरह लोकतंत्र के मंदिर में यानी कि अखबार में आरोप प्रत्यारोप का दोनों पक्षों को मौका दिया जाना चाहिए अपनी अपनी बात रखने का लेकिन समाचार पत्रों में भी ऐसा कहीं न्याय नजर नहीं आया जहां निगम कर्मचारी फैजान का भी पक्ष छपना चाहिए था कि आखिर विवाद दोनों पक्षों में किस बात को लेकर और क्यों पूर्व पार्षद क्या प्रयास कर रहे हैं। और कब का मामला है लेकिन एक पक्षीय कार्रवाई है खबर छापना, यह विश्वसनीयता को खो देता है। फैजान का भी वरजन छपना चाहिए था जो अब तक अखबारों में नजर नहीं आया। छोटे कर्मचारियों को दबाव डालकर काम करना और अपनी बात मनवाना और अगर ना माने तो अखबार में छपवाना आजकल चलन हो गया है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। पूरे शहर से अतिक्रमण हटाकर बड़े अधिकारियों के आदेश पर अतिक्रमण मुक्त कराया जाता है। छोटे कर्मचारियों का दोष नहीं होता। जब भी कोई सामान उठाया जाता है तो वह ऑन रिकॉर्ड बड़े अधिकारियों को जानकारी पूरी रखी जाती है जिस काम में रजिस्टर में दर्ज कर बताया जाता है। ताकि रिकार्ड दुरुस्त रहे और सामान छुड़ाने वाले अपना चालान पेश करते हैं जुर्माना भरते हैं दोबारा अतिक्रमण न करने का बंद भी भराया जाता है जो ज्यादातर खानापूर्ति है।
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