नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का शानदार उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को विशेष रूप से इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया। ठीक उसी दिन महाराष्ट्र सरकार ने अपने आधिकारिक फ़ेसबुक पेज Maharashtra DGIPR के सारे संस्करणों को अंग्रेजी से मराठी में अनुवादित कर दिया।

19 फ़रवरी 2025 को New India Time’s में प्रकाशित ख़बर से देवेन्द्र फडणवीस सरकार द्वारा मराठी भाषा को लेकर अपनाए गए दोगलेपन को महाराष्ट्र की जनता के सामने उजागर किया गया था। इस फ़ेसबुक पेज को पढ़ने वाले करोड़ों लोगों को उनकी मातृभाषा मराठी के बजाये अंग्रेजी में संबोधित करने की शातिर पहल किस के दिमाग़ की उपज है इसकी जांच होनी चाहिए। 1960 में महाराष्ट्र का निर्माण मराठी भाषा के आधार पर हुआ था। राज्य की राजनीति में मराठी अस्मिता हमेशा प्रमुख मुद्दा रहा है। श्री चक्रधर स्वामी, संत ज्ञानेश्वर, श्रमण संस्कृति के महानुभाव, वारकरी सम्प्रदाय, स्वराज निर्माता छत्रपति शिवाजी महाराज, इन महान पुरोगामी व्यक्तित्वों का मराठी के लिए दिया गया योगदान इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। भविष्य में इस मामले को लेकर सरकार जनता की भावना से खिलावाड़ न करे तो अच्छा होगा। यह मसला सत्ता में बैठे किसी भी नेता के लिए कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है जो विदेशी पत्रकार द्वारा A1 को लेकर पूछे गए सवाल का तल्खी से दिया गया जवाब हो। देवेन्द्र फडणवीस सरकार को यह बयान जारी करना चाहिए कि DGIPR के साथ साथ सरकार की तमाम सोशल मीडिया साइट्स के पेज मराठी भाषा में ही अपलोड किए जाएंगे।
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