पीयूष मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT; एक और जहां हमारे देश के प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान को लेकर पूरे देश में लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर जल संसाधन विभाग के अमले के कर्मचारी और उनके परिवार के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।पिछले कुछ वर्षो से टूटे छतिग्रस्त शौचालय एवं बाथरूम का उपयोग कर रहै हैं, जिसकी शिकायत उपयंत्री एवं सुपरवाइजर से भी की गई थी, परंतु उपयंत्री द्वारा आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे सिंचाई कालोनी के निवासी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं, यही नही वहां निवासरत कर्मचारी कई बार मौखिक एवं लिखित रूप से शिकायत कर अपनी पीड़ा को व्यक्त कर चूके हैं परंतु कॉलोनी प्रभारी उपयंत्री एवं मातहत कर्मचारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है, जबकि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार स्वच्छ भारत का सपना देख रही है। इस सरकार में सिंचाई विभाग के शासकीय कर्मचारी ही अपनी सरकार का स्वप्न तोड़ने में लगे हुये हैं। ज्ञात हो कि खुले में शौच करने को मजबूर इन शासकीय कर्मचारियों की व्यथा पर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ। अपने विभाग के छोटे कर्मचारियों की इस समस्या की ओर ध्यान नहीं देना वरिष्ट अधिकारियों का समझ के परे है।
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