नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
![शहरों में चलाए जा रहे हैं गांव कस्बों के लिए मंजूर किए गए सेवा सुविधा केंद्र, सैकड़ों काउंटर गैर कानूनी 2 शहरों में चलाए जा रहे हैं गांव कस्बों के लिए मंजूर किए गए सेवा सुविधा केंद्र, सैकड़ों काउंटर गैर कानूनी | New India Times](https://www.newindiatimes.net/wp-content/uploads/2025/01/img-20250126-wa017115117971912931730683.jpg)
हमारे पॉलिटिकल सिस्टम ने सरकारी सेवाओं के लिए गतिमान ऑनलाइन प्रक्रिया सेंटर्स को सरकारी तिज़ोरी से इस कदर पोसा है कि डेमोक्रेटिक सिस्टम में जनता को हाड़ तोड़ मेहनत कर भरपूर टैक्स दे कर तिज़ोरी भरने वाले जीव की कैटिगरी में सूचीबद्ध कर दिया है। “आपले सरकार सेवा केंद्र” मामले पर New India Time’s की दूसरी रिपोर्ट है। महाराष्ट्र सरकार ने पूरे राज्य के 410 ब्लॉक के 7 हजार गांवों की आबादी के अनुपात के अनुसार करीब 3 हजार गांव कस्बों में “आपले सरकार सेवा सेंटर” के ठेके दिए हैं। कुल केंद्रों में से महज 10% केंद्र गांवों में चलाए जा रहे हैं। शेष सारे के सारे शहरों में तहसील कचहरियों , प्रांत, जिलाधीश कार्यालयों को घेर कर खुले आम चल रहे हैं। एक व्यक्ति को दिए गए लाइसेंस पर दस दस लोग गैर कानूनी तरीके से सेवा केंद्र चला रहे हैं और ग्राहकों को आर्थिक रूप से लूट रहे हैं।
जामनेर की बात की जाए तो यहां पर कचहरी के आसपास बने दो शॉपिंग मार्केट की आधी दुकानें सेवाधा(दा)म बन चुकी है। देश की वर्तमान राजनीत में धर्म और सेवा इन दो शब्दों को इतना गढ़ दिया गया है कि इंकलाब बलिदान सत्याग्रह जैसे शब्द इतिहास में कभी थे इसे खोजने भर का तर्क नई पीढ़ी में शायद हि पैदा हो। सरकार ने “एक खिड़की योजना” को बंद क्यों किया ? राजस्व विभाग ने महाराष्ट्र में आज तक गैर कानूनी तरीके से चलाए जा रहे सेवा केंद्र की जांच मुहिम क्यों नहीं चलाई ? विधानसभा में किसी नेता ने यह सवाल उठाकर जांच की मांग की है ? हम अर्थशास्त्र के जानकार तो नहीं है लेकिन 8 लाख 10 हजार करोड़ रुपए के कर्ज़ मे डूबी महाराष्ट्र सरकार अगर नकली सेवा केंद्रों पर नकेल कस कर उन्हें नियम के दायरे में लाना शुरू करेगी तो यकीनन सरकारी राजस्व में महीने का हजार करोड़ की बढ़ोतरी हो सकती है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.