विवेक जैन, नई दिल्ली, NIT:
नई दिल्ली में लौहड़ी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। दिल्ली एनसीआर की सुप्रसिद्ध मॉड़ल, स्टाईलिस्ट, उद्यमी एवं सोशल वर्कर शैली बिंद्रा ने बताया कि लौहड़ी का त्यौहार मुख्य रूप से फसल पकने का प्रतीक है। लौहड़ी भाईचारे, प्रेम और नई ऊर्जा का प्रतीक है। बताया कि लौहड़ी उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है और इसको मकर संक्रांति के त्यौहार से पहले मनाया जाता है। किशोर लड़के और लड़कियां अलाव के लिए उपले बनाने के लिए गाय का गोबर और टहनियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। लौहड़ी वाले दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अलाव जलाने के लिए उसके चारों ओर इकट्ठा होते हैं। लोग अलाव के सामने प्रार्थना करते हैं और उसमे तिल, मूंगफली, चूरा और पॉपकान आदि डालते हैं।
इन सभी खाद्य पदार्थों को लौहड़ी का प्रसाद माना जाता है। इसके आलावा लौहड़ी के दिन, स्वादिष्ट भोजन पकाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप लौहड़ी का विशेष भोजन सरसों का साग और मक्की की रोटी, खीर, आटे के लड्डू के साथ-साथ कई अन्य व्यंजन बनाए और खिलाए जाते हैं। लौहड़ी के दिन लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। बताया कि यह दिन न केवल कृषि की खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार और समुदाय की एकजुटता का भी प्रतीक होता है। यह त्यौहार हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है। लौहड़ी के त्यौहार को लेकर हर जगह उल्लास और उत्साह का माहौल रहता है, जिससे पूरे समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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