देश के प्रसिद्ध गांधी वादी चिन्तक श्री कुमार कलानन्द मणि का 17 फरवरी 2025 को बुरहानपुर आगमन | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

देश के प्रसिद्ध गांधी वादी चिन्तक श्री कुमार कलानन्द मणि का 17 फरवरी 2025 को बुरहानपुर आगमन | New India Times

बोहरा समाज बुरहानपुर की वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मोहतरमा तसनीम मर्चेंट और दलित समाज के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, गांधीवादी विचारक एवं सीनियर एडवोकेट दिलीप तायडे के नेतृत्व में गांधी ग्लोबल फैमिली नामक संस्था के माध्यम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए अनेक कार्यक्रम जिले में आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में देश की एक अज़ीम गांधीवादी शख्सियत का दिनांक 17 फरवरी 2025 को ऐतिहासिक पौराणिक नगरी बुरहानपुर में आगमन हो रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री कुमार कलानन्द मणि देश के प्रसिद्ध गांधी वादी विचारक, चिन्तक व जाने माने सामाजिक वर्कर है। उन्होने कई सामाजिक आन्दोलनों का नेतृत्व किया है । वे 17 फरवरी को बुरहानपुर में गांधी विचार के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बुरहानपुर पधार रहे हैं। वे बुरहानपुर में हाथ करघा और पावरलुम के इतिहास का अध्ययन करने स्थानीय पावरलुम से जुडे लोगो से संवाद स्थापित करेंगे। बृहद् और बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी श्री कलानन्द मणि 1971से 1973 तक बाबा विनोबा के सानिध्य में भुदान व सर्वोदय आंदोलन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं।

1974 में वे छात्र आंदोलन में कुद पड़े और लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व सम्पूर्ण क्रान्ति के लिए चलाये गये बिहार आंदोलन मे कई बार जेल गये l 1975 में आपात काल के विरोध में 4 महिने वे जेल में रहे और जेल से बाहर आने के बाद उन्होने राज्य व्यापी भुमिगत आंदोलन भी चलाया तथा जय प्रकाश नारायण द्वारा गठित राष्ट्रीय छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का नेतृत्व किया और छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर चलाये। 1987 में पश्चिम घाट बचाओ मार्च की शुरुआत की तथा दोनो घाटों के दोनो छोरो से एक विशाल मार्च निकाला। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को बढाने के लिए गोवा में नीट इन्डिया सायकल रैली का भी सफल और प्रभावी आयोजन किया। स्वराज और पंचायती राज पर अनेक शिविर चलाये। अंध विश्वास के खिलाफ भी अंध विश्वास समिति का गठन कर अंध विश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाया। शान्ति व युद्ध विरोधी अभियान के तहत उन्होने देश विदेश में अनेक कान्फ्रेस और शिविरों में भाग लिया है तथा फ्रान्स, जर्मनी, फिनलैन्ड, स्वीडन, युनाईटेड किंगडम डेनमार्क, नार्वे, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका मेक्सिको आदि देशों की यात्रा कर गांधी विचार और युद्ध विरोधी अभियान और सेमिनार मे भाग लिया। उन्होने सेवाग्राम आश्रम में पंचायती राज व स्वराज्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया।

गोवा लोक समिति,पीसफूल सोसायटी आफ इंडिया, पीस फुल ट्र्स्ट, गांधी युवा फेलोशिप, शान्ति पुर्ण समाज, वनवासी सन्घठन, पश्चिम घाट बचाओ आंदोलन, इको कोरम गोवा, नव निर्माण अभियान ग्राम विकास, इन्डियन रिवर नेटवर्क आदि संस्थाओ के वे संस्थापक भी है। उनके वृहद लेखन और मौलिक प्रकाशन की श्रृंखला में  गांधी वादी विकास कार्य और सरकार की नीति, सामाजिक, राजनीतिक आर्थिक स्थिति और गांधीवादी परिप्रेक्ष्य, पश्चिम घाट की जैविक विविधता के संरक्षण के लिए गैर सरकारी संगठनों की सक्रियता का इतिहास, शान्ति और विकास के लिए गांधी वादी द्रुष्टिकोण आदि के साथ स्वशासन व्यवस्था बनाम ग्राम स्वराज्य पुस्तकों के प्रकाशन के अलावा टाईम्स आफ इंडिया, दिनमान, इन्डियन एक्सप्रेस, जनसत्ता, हेराल्ड, लोक मत, गांधी मार्ग में उनका मौलिक चिन्तन व लेख समय समय प्रकाशित होते रहे हैं।


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By nit

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