अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने हाल ही में GNM नर्सिंग ( जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री ) और B.Sc. नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता जारी की है। मान्यता केवल उन्हीं कॉलेजों को दी गई है जिन्हें सीबीआई की दोनों जांचों और हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने उपयुक्त पाया है।
इस सूची के अनुसार:-
GNM नर्सिंग कॉलेजों की संख्या: 138
B.Sc. नर्सिंग कॉलेजों की संख्या: 156
GNM नर्सिंग की कुल सीटें: 6816
B.Sc. नर्सिंग की कुल सीटें: 7864
– GNM ( जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री ) यह एक डिप्लोमा कोर्स है , यह कोर्स तीन साल का होता है, जिसमें छह महीने की इंटर्नशिप भी शामिल होती है
– Bsc नर्सिंग ( बैचलर ऑफ़ साइंस इन नर्सिंग ) यह एक स्नातक स्तर का कोर्स है यह कोर्स 4 साल का होता है
हालांकि, NSUI प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। रवि परमार ने कहा कि सत्र 2024-25 की मान्यता जनवरी 2025 में जारी करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। आधा से ज्यादा सत्र बीत चुका है, जिससे न केवल छात्रों के सिलेबस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, बल्कि हजारों छात्र अन्य राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
फीस निर्धारण और छात्रवृत्ति का मुद्दा भी उठाया गया:
रवि परमार ने यह भी मांग की कि नर्सिंग कॉलेजों की फीस संरचना को तुरंत निर्धारित किया जाए ताकि कॉलेज संचालक छात्रों से मनमानी फीस वसूल न सकें। वर्तमान में फीस को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने से छात्र और उनके अभिभावक आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
परमार ने यह भी बताया कि पिछले चार वर्षों से नर्सिंग छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी गई है, जिससे कई छात्र आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। यह न केवल शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
एनएसयूआई ने सरकार से प्रमुख मांगें की:
1. नर्सिंग कॉलेजों की फीस का निर्धारण कर मनमानी वसूली पर रोक लगाई जाए।
2. नर्सिंग छात्रों की लंबित छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए।
3. छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त कक्षाओं और अन्य सहायता की व्यवस्था की जाए।
4. फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई तो करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन ।
एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि इन मुद्दों का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो वह बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगी। छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए एनएसयूआई सड़क से लेकर हर मंच तक लड़ाई लड़ेगी।
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