मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
पीड़ित पक्ष को न्याय कैसे, शतरंज के खिलाड़ी की तरह किस रास्ते को अपना कर न्याय दिलाना, अगर यह भावना और कला है तो किसी भी अधिवक्ता की जीत सुनिश्चित है। ऐसे ही एक जटिल मामले में बुरहानपुर के सीनियर हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट प्रैक्टिसिंग एडवोकेट मनोज कुमार अग्रवाल को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच से सफलता प्राप्त हुई है। म.प्र. हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बुरहानपुर के शिक्षक प्रत्याशी मोहम्मद इमरान अंसारी की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार अग्रवाल द्वारा दोबारा प्रस्तुत याचिका में, मध्य प्रदेश सरकार सहित शिक्षा विभाग के आयुक्त, संभागीय उपायुक्त एवं सहायक आयुक्त को दि . 18.12.2024 को नोटिस जारी करने के आदेश के साथ ही साथ, अपने आप में अद्वितीय आदेश जारी किए कि “यदि याचिकाकर्ता की याचिका अंतिम रूप से स्वीकार हुई तो सरकार यह आधार नहीं ले सकेगी कि वैकेंसी नहीं बची है”।
हाइकोर्ट द्वारा, अर्हता का फैसला कर देने के बावजूद, अर्हता के आधार पर दि. 14.09.2022 ( 26.11.2024) को नियुक्ति नहीं देने के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान अंसारी द्वारा पुनः हाइकोर्ट में लगाई याचिका में दि. 18.12.2024 को उक्त आदेश जारी किए। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री मनोज कुमार अग्रवाल ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि, पहले राउंड की याचिका में, मा. उच्च न्यायालय ने पूर्व आदेश दि. 22.10.2024 के माध्यम से, संभागीय उपायुक्त को एक मौका देते हुए याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान अंसारी के मामले को मा. उच्च न्यायालय के आदेश विशेष की रोशनी में 1 माह में फैसला लेने के निर्देश दिए थे, किंतु फिर भी संभागीय उपायुक्त इंदौर ने याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान अंसारी के प्रतिवेदन दि. 28.10.2024 को भी अपने आदेश दि . 26.11.2024 के द्वारा निरस्त कर दिया , इसके बाद उक्त याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान अंसारी ने दि . 04.12.2024 फिर से मा. उच्च न्यायालय की शरण ली, जिसमें अब मा. उच्च न्यायालय ने दि . 18.12.2024 को उक्त आदेश जारी किए।
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