मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में बुरहानपुर विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने तारांकित प्रश्न के माध्यम से बुरहानपुर की बहादरपुर सहकारी सूत मिल मर्यादित के श्रमिक एवं कर्मचारियों को देय वेतन, ग्रेज्यूटी के भुगतान का विषय सदन में उठाया। जिस पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप ने उत्तर देते हुए अतिशीघ्र कार्यवाही आरंभ कर भुगतान करने का आश्वासन दिया।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि हमारी सरकार ने मालवा मिल, हुकुमचंद मिल, विनोद मिल, अवंतिका सूत मिल, हीरा मिल आदि के मजदूरों के प्रति जिस संवेदनशीलता से निर्णय किया, उनके सारे मजदूरों की देनदारियां का भुगतान किया, उसी प्रकार बुरहानपुर की बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों कर्मचारियों के लिए भी समय-सीमा में निर्णय करें। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हम विगत 25 वर्षों से इस मुद्दे को उठा रहे है। लगातार प्रयास कर श्रमिकों कर्मचारियों को उनका हक मिल सके, इस हेतु प्रयत्नशील रहे।
कांग्रेस के शासन काल में 1998 में बंद हुई थी, बहादरपुर सूत मिल
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि फरवरी 1998 दिग्विजयसिंह के कांग्रेसी शासनकाल से बंद पड़ी और तब 3-4 वर्षों में अस्तित्व खो चुकी बहादरपुर सूत मिल के श्रमिकों एवं कर्मचारियों को आज तक भी देय वेतन एवं ग्रेज्युटी का लाभ नहीं मिला है। जो बहादरपुर और बुरहानपुर के मेहनतकश कामगारों हेतु काला दिन रहा। जिस दिन इस चालू मिल को तत्कालीन सरकार ने बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि मिल के परिसमापन को 25 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। मिल के श्रमिक अपनी भुगतान राशि के लिए कई वर्षों से आंदोलतरत है तथा इन श्रमिकों में से लगभग 200 श्रमिकों के मृत्यु भी हो चुकी है।
इन श्रमिकों की 1999 में देयता 1 करोड़ 51 लाख राशि का भुगतान शेष बताया गया। श्रीमती चिटनिस ने अपने प्रश्न में 31 मार्च 2024 तक की स्थिति में श्रमिकों की देनदारियां ब्याज सहित 56,55,14212/- होना बताया। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने बहादरपुर सूत मिल को कार्यशील पूंजी के अभाव में फरवरी 1998 में बंद कर दिया था। उसके पश्चात शासन ने अक्टूबर 1999 अपना परिसमापक नियुक्त कर संस्था को परिसमापन में ले लिया था। वर्तमान में महाप्रबंधक, जिला व्यापार व उद्योग केन्द्र बुरहानपुर परिसमापक है।
2003 पूर्व मिल की दीवारों और ईंट-मिट्टी तक चोरी हो गई
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि संस्था को परिसमापन में लिए जाते वक्त संस्था की बिल्डिंग, मशीनरी गाड़ियां, तार फेसिंग, अधिकारियों के बंगले, श्रमिकों के क्वार्टस आदि सभी सही स्थिति में थे। किन्तु सुरक्षा के अभाव में 1998 से 2003 दौरान मिल की दीवारों और ईंट-मिट्टी तक चोरी हो गए। अब केवल 57.83 एकड़ औद्योगिक भूमि ही शेष है। जिसका वर्तमान गाईड लाईन मूल्य राशि रू. 81 करोड़ है। यह भूमि इंदौर-अंकलेश्वर मार्ग से लगी होने से इसका बाजार मूल्य गाईड लाईन रेट से बहुत अधिक है।
99 वर्ष की लीज पर दी गई 57.83 एकड़ औद्योगिक भूमि को शासन के आदेशानुसार जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र को हस्तांतरित कर दी गई है। यह भूमि वर्तमान में जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र बुरहानपुर के आधिपत्य में है। जिसे औद्योगिक उपयोग के अतिरिक्त अन्य शासकीय उपयोग में लिया जा सकता है या म.प्र. गृह निर्माण मण्डल से राशि प्राप्त कर उसे शासन की नीतियों के अनुसार विकसित किया जा सकता है। जिससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खड़े किए जा सकते है।
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