नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
यह शहर बढ़ता हुआ बच्चा है कूद तो मारेगा हि ये संवाद है मार्च 2015 में रिलीज़ हुई फ़िल्म NH 10 का। सुदीप शर्मा की लिखी और नवदीप सिंग द्वारा बनाई गई इस फ़िल्म की स्टोरी से थोड़ा हटकर एक कहानी महाराष्ट्र के NH 753 F पर किसी डायरेक्टर का इंतजार इस लिए कर रही है क्योंकि सरकार नाम की व्यवस्था कहीं नज़र नहीं आ रही है। फ़र्दापुर से सिल्लोड तक नेताओं और ठेकेदार के बीच की कमीशन वाली राजनीति ने जलगांव- औरंगाबाद NH 753F के बारा बजा दिए है। आधी रात के बाद इस सड़क पर बड़े-बड़े कंटेनर ट्रक्स और माल ढोने वाले वाहनों का कब्जा हो जाता है।
सैकड़ों ठिकानों पर कांक्रीट की इस सड़क के बॉक्स को आपस में जोड़ना बाकी है। ठीक उसी जगह पर शराब के नशे में धुत ड्राइवर्स पहले “मैं” के चक्कर में आपस में लड़ झगड़ पड़ते हैं। इस सब के बीच छोटी कारों में सवार सवारियों को आगे बढ़ने के लिए सड़क पास नहीं मिलता। विवाद और तनाव से असुरक्षा बढ़ती जाती है। यह सब चश्मदीदों की आंखों देखी है जिसे हम जिम्मेदारी के साथ रिपोर्ट की शक्ल दे रहे हैं। अब बात करते है पुलिस की तो जिन जिन जगहों पर पास के नाम पर इस प्रकार से गुंडई मचाने का प्रयास होता है वहां तक संबंधित पुलिस स्टेशन का नाइट पेट्रोलिंग टीम गश्त लगाता हुआ बिल्कुल भी नजर नहीं आता है।
राजमार्ग सुरक्षा पुलिस का कोई अतापता नहीं कही भी हेल्प लाइन नंबर्स के फ्लेक्स नहीं है। ड्राइवर्स के झगड़ो मे अधिकतर माल ढोने वाले छोटे वाहनों के चालक होते है जो स्थानीय होने के चलते अन्य प्रदेश के वाहन चालको से भीड़ जाते है। NH 10 का नायक इंसानियत के नाते किसी के फटे मे टांग डालने की हिमाकत कर अपनी जान गंवा बैठता है नायिका सरकारी सिस्टम और समाज के भीतर बने सिस्टम से लड़ती है। NH 753F पर अतीत मे घटे हादसों के लिए न जाने कितनों ने अपनी लड़ाई लड़ी होगी इसका पता नहीं। शासन प्रशासन और ठेकेदारों द्वारा फैलाई गई अव्यवस्था के कारण NH 753F का सफर खतरनाक बन गया है। इस सड़क को तत्काल प्रभाव से अपराध एवं भय मुक्त करवाए जाने की मांग की जा रही है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.