सलमान चिश्ती, ब्यूरो चीफ, रायबरेली (यूपी), NIT:
अस्पताल में लापरवाही समय पर इलाज न मिलने से मृत बच्चे का जन्म, परिवार ने सोमवार को परिजनों द्वारा हंगामा काटा और कार्रवाई की मांग की। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खीरों में गर्भवती महिला के मृत बच्चे को जन्म देने के मामले में अस्पताल की स्टाफ नर्सों पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित परिवार ने नर्स पूर्णिमा सिंह और नीलम सिंह पर अनदेखी और दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। लवकुश पासवान की गर्भवती पत्नी करिश्मा को 15 दिसंबर 2024 को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खीरों लाया गया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात नर्स पूर्णिमा सिंह ने बिना किसी उचित जांच के उन्हें यह कहते हुए अस्पताल से बाहर निकाल दिया कि प्रसव में अभी समय है और 12 से 24 घंटे बाद आने की सलाह दी। गंभीर स्थिति में भी परिवार अस्पताल परिसर में इंतजार करता रहा, लेकिन दोपहर 2 बजे उन्हें वहां से भी हटा दिया गया। इसके बाद रात में जब प्रसव पीड़ा और बढ़ गई तो परिवार करिश्मा को दोबारा अस्पताल ले गया। इस बार भी स्टाफ ने तुरंत इलाज या जांच करने से इनकार कर दिया।
परिवार का कहना है कि नर्सों की लापरवाही के कारण रविवार देर रात 12:26 बजे करिश्मा ने मृत बच्चे को जन्म दिया। पीड़ित लवकुश पासवान का कहना है कि यदि समय पर प्रसव कराया जाता तो उनके बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। दुर्व्यवहार का भी आरोप परिवार ने नर्स नीलम सिंह पर दुर्व्यवहार और अभद्र भाषा का प्रयोग करने का भी आरोप लगाया। उनका कहना है कि नर्स ने न केवल मरीज की अनदेखी की, बल्कि परिवार के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। इस दर्दनाक घटना के बाद पीड़ित परिवार ने मामले की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने दोषी स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने की अपील की है। यह मामला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर करता है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।
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