एम.एम. सिद्दीक़ी, भोपाल (मप्र), NIT:
हमीदिया अस्पताल में सुल्तानिया जनाना अस्पताल में एक महिला समरीन पति राशीद 2 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया बिना डिलीवरी कराए वापस कर दिया गया। कहा 15-20 दिन बाद आना आपके बच्चे को पीलिया है। समरीन के परिजन परेशान होकर के दर-दर भटकते रहे फिर कुछ लोगों ने मदद करके प्राइवेट हॉस्पिटल अल रशीद में भर्ती कराया। गरीब आदमी ऑटो चला कर अपने परिवार का पालन पोषण बड़ा मुश्किल कर पता है तो प्राइवेट हाॅस्पिटल का खर्च कैसे वहन कर पाएगा। मामले की शिकायत की सीएम हेल्पलाइन पर की गई। मामला हमिदिया हॉस्पिटल के डिन एवं जिला अध्यक्ष, कलेक्टर महोदय के संज्ञान में लाया गया। भाई राशिद का कहना है कि मामले को हम न्यायालय लेकर जाएंगे क्योंकि हमारे साथ दर्द पर दर्द सहते हुए जितना दर्द पिछले 9 महीने में ना हुआ इन दो दिनों में हुआ, प्रताड़ित किए गये और अस्पताल से बिना डिलीवरी करवाऐ बच्चों को पीलिया का बहाना बनाकर 15 दिन कहकर तकलीफों में डिस्चार्ज कागज हाथ में थमा दिया और हम चले गए। हम सरकार से पूछेंगे कि हमारी क्या गलती थी जो देश में जननी सुरक्षा योजना और सुरक्षित प्रसव के लिए सरकार सुल्तानिया अस्पताल को बड़ी जिम्मेदारी और खर्च देती है जो हमारा हक था हमें नहीं मिला, अब हम न्यायालय की शरण लेंगे। हमने प्राइवेट अल रशीद अस्पताल में पूरा खर्च उठाया है वह भी हम न्यायालय से मांग करेंगे। मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना में हमें 16000 रुपए मिलने थे वह भी हमें नहीं मिले, यह सारा हिसाब न्यायालय में लिया जाएगा। अब यहां पक्षपात हमारे साथ क्यों हो रहा है। क्या इसलिए कि हम एक अल्पसंख्यक वर्ग से मुस्लिम हैं यह जांच का विषय है। क्या इसमें कोई और हीन भावना है या सोची समझी रणनीति के तहत वापस किया गया। लिख कर दिया गया कि कोई दर्द नहीं है और 12 घंटे के अंदर ही नॉर्मल डिलीवरी प्राइवेट हॉस्पिटल में हो गई, बच्ची सुरक्षित है और मां भी सुरक्षित है। अगर कोई अनहोनी हो जाती तो हम क्या करते इसका जवाब हम माननीय न्यायालय की शरण में जरूर लेंगे। गलती जिसकी भी हो उचित कार्रवाई तो होनी चाहिए। सहायक अधीक्षक जीवन सिंह मीणा ने भरोसा दिलाया है कि आपके साथ न्याय होगा, जिस यूनिट की गलती होगी उससे जवाब तलब किया जाएगा।
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