अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अविनाश वाजपेई, कुलपति पद के आवेदक डॉ आशीष जोशी और प्राॅडक्शन सहायक डॉ परेश उपाध्याय की ABVP के कार्यक्रम में उपस्थिति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
इस विषय पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने NSUI नेता रवि परमार का ट्वीट (एक्स) पर रीपोस्ट कर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्हों ने लिखा है कि क्या ABVP बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में जो सभी को समान अधिकार देने का Preamble में प्रावधान है उसका समर्थन करती है? यदि हाँ तो अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाना बंद करें। समरसता दिवस मनाना है तो आपके पदाधिकारियों में कितने अल्पसंख्यक हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री ने अविनाश वाजपेई पर निशाना साधते हुए कहा कि रजिस्ट्रार महोदय क्या आप भी ABVP के सदस्य हैं? क्या ABVP राजनैतिक दल Bharatiya Janata Party (BJP) का संघटन नहीं है? क्या शासकीय सेवाओं में कर्मियों व अधिकारियों को राजनैतिक कार्यक्रमों में भाग लेने की छूट है? यदि नहीं है तो क्या CM Madhya Pradesh व मुख्य सचिव महोदय, रजिस्ट्रार महोदय के ख़िलाफ़ कार्यवाही करेंगे?
इससे पहले NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री रवि परमार ने ट्वीट ( एक्स ) पर पोस्ट कर लिखा था कि भाजपा ने शिक्षण संस्थानों को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है। विवि में नियुक्तियों की सबसे बड़ी योग्यता सिर्फ ‘भाजपाई’ होना बन चुकी है। डॉ. परेश उपाध्याय को ABVP का गमछा पहने हुए देखा गया, जो संस्थान की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
इस ट्वीट (एक्स) पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने इसे शिक्षा के राजनीतिकरण का गंभीर मामला बताया और सवाल खड़े किए। दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र का राजनीतिकरण न केवल संविधान की भावना के खिलाफ है, बल्कि देश के युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।
मामले पर प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि NSUI और कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए ताकि शिक्षण संस्थानों की गरिमा और निष्पक्षता कायम रहे। बता दें कि देशभर में विख्यात माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय अक्सर विवादों में रहता है। छात्र विवि प्रशासन पर शिक्षा का भगवाकरण और सत्ता का एजेंडा थोपने के आरोप लगा रहे हैं।
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