सादिक़ शेख, ब्यूरो चीफ, सूरत (गुजरात), NIT:
1990 से 1994 तक सूरत नगर निगम द्वारा शहर का विकास, रिंग रोड व्होरा कब्रिस्तान (मान दरवाजा से उधना दरवाजा), ढेफवाड़ी (सिविल फोर रोड), लाल दरवाजा, फलसावाड़ी, खटोदरा पानी की टंकी के पास और गोपी झील: आदि क्षेत्र में झुग्गी बस्तियों तक। : टी.पी. 7 (अंजना), अंतिम प्लॉट नं. मामला सूरत नगर निगम के रिकॉर्ड में होने के बावजूद लिंबायत जोन कार्यालय टीपी-7 द्वारा राजनीतिक दबाव में स्थानीय गरीब मजदूर अल्पसंख्यक सहित अन्य समुदायों के 12×15 परिवारों को 181 प्रति प्लॉट के हिसाब से पुनर्वासित किया गया।
(अंजना), अंतिम प्लॉट नं. 181 में से करीब 250 परिवारों को ऐसे नोटिस भेजकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। जब नगरपालिका व्यवस्था श्रमिक बस्तियों में संतोषजनक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने में पूरी तरह विफल हो गई है, तो मेहनतकश लोग राजनीतिक हथियार बन गए हैं। नोटिस भेजकर अराजकता फैलाना ठीक नहीं है। सभी लोग 1995 के पहले से ही अपने परिवार के साथ मिट्टी के मकान में रह रहे हैं।
दिनांकित उपरोक्त सूचना के संबंध में 20/11/2024 को शाम 4.30 बजे कांग्रेस नेता असलम साइकिलवाला के नेतृत्व में स्थानीय निवासियों ने लिंबायत जोन कार्यालय में कार्यकारी अभियंता विपुल गणेशवाला को ज्ञापन दिया कि स्थानीय लोगों को मानसिक यातना नहीं दी जानी चाहिए और केवाईसी प्रक्रिया की तरह कार्य नहीं करना चाहिए। सरकार द्वारा वर्तमान में रजा नगर वासियों से राशन कार्ड बनवाने की अपील की गई है।
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