नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए संपन्न वोटिंग के बाद जारी मत प्रतिशत और वोटिंग के दौरान कार्यान्वित फैक्टर्स के प्रभाव ने एग्जिट पोल करने वाली संस्थाओं को संभ्रम में डाल दिया है। हमारा आंकलन है कि महाराष्ट्र में भाजपा प्रणीत युति अथवा कांग्रेस प्रणीत आघाड़ी इनमें से किसी भी गठबंधन की सरकार बनी तो वह एकतरफा स्पष्ट बहुमत से बनेगी। जलगांव में 11 सीटों के लिए 65% वोटिंग हुआ। जलगांव शहर , जलगांव ग्रामीण , पारोला , पाचोरा , चालीसगांव , जामनेर , मुक्ताई नगर मे परिवर्तन की लहर महसूस की गई है। भुसावल , चोपड़ा , अमलनेर , रावेर में ठोस कहा नहीं जा सकता।
जामनेर में बीजेपी की ओर से गिरीश महाजन सातवीं बार मैदान में हैं उनके सामने महाविकास आघाड़ी के दिलीप खोड़पे सर ने कड़ी चुनौती पेश की है। इस बार जामनेर क्षेत्र में बंपर 71% मतदान हुआ है। 3 लाख 35 हजार 274 वोटों में पुरुष 1 लाख 22 हजार 453 , महिला 1 लाख 14 हजार 081 इस प्रकार कुल 2 लाख 36 हजार 534 मतदान हुआ। 2019 में 67% वोटिंग हुआ था तब महाजन 35 हजार वोट की लीड से चुनकर आए थे। इस बार बढ़ा हुआ 4% मतदान और जनता के बीच बदलाव की बनी मानसिकता किसी एक के पक्ष में हार जीत का फैसला करेगी।
एग्जिट पोल के इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि दुनिया में सबसे पहला एग्जिट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका में 1936 को हुआ था। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिंसन ने न्यूयॉर्क में एक सर्वे किया जिसमें मतदान करके बाहर आए लोगों से पूछा गया कि उन्होंने राष्ट्रपती पद के लिए किस प्रत्याशी को वोट दिया है। इसी तरह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर फ्रेंकलिन रूजवेल्ट के पक्ष में माहौल बताया गया और हुआ भी ठीक वैसा रूजवेल्ट ने चुनाव जीता। तब से दुनिया भर के देशों में एग्जिट पोल लोकप्रिय हो गए। इसी तर्ज पर एजेंसीयां सर्वे से डेटा इकठ्ठा करते हुए नतीजों के आस पास पहुंचने का प्रयास करती हैं। एग्जिट पोल्स के अनुमान मौसम विभाग के सूचना और चेतावनीयों की तरह अस्पष्ट होते हैं।
महाराष्ट्र में संपन्न चुनाव में 44,728 गांवों समेत करीब एक लाख बूथों के बाहर कितनी सर्वे एजेंसियों के कितने प्रतिनिधियों ने तय सैंपल के अनुसार डेटा इकठ्ठा किया इसका आंकड़ा गोदी मीडिया को सार्वजनिक करना चाहिए। भारत में जनप्रतिनिधि कानून 1951 के सेक्शन 126(ए) तहत एग्जिट पोल को नियंत्रित किया जाता है। एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के बाद प्रसारित करने के लिए सर्वे एजेंसी को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है। कुछ घंटों की प्रतिक्षा के बाद सारा माजरा साफ़ हो जाएगा और एग्जिट पोल्स की पोल भी खुल जाएगी।
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