दमोह के स्वदेशी मेले से मुस्लिम व्यापारियों को किया बाहर | New India Times

इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:

दमोह के स्वदेशी मेले से मुस्लिम व्यापारियों को किया बाहर | New India Times

सम स्वदेशी जागरण मंच द्वारा लगाए गए स्वदेशी मेले के नाम पर लगाए गए मेले में स्वदेशी समान ख़रीदी का सन्देश तो दिया गया लेकिन अपने ही देश के मुस्लिम व्यापारियों का बहिष्कार कर दुकानें मेले से हटा दी गई। दमोह जिले के तहसील ग्राउंड में आयोजित हो रहे स्वदेशी मेले में से सभी मुस्लिम व्यवसायियों की दुकानों को खाली कराकर उन्हें बाहर का रस्ता दिखा दिया।

दमोह के स्वदेशी मेले से मुस्लिम व्यापारियों को किया बाहर | New India Times

दमोह कलेक्टर ने शिकायत मिलने पर जांच का आश्वासन दिया है, खास बात ये है कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा सरकारी मैदान पर आयोजित होने वाले इस मेले में  स्थानीय निजी दुकानदारों के अलावा सभी सरकारी विभाग के स्टॉल भी लगे हैं और उनमें समरसता का ज्ञान बॉटने वाले स्लोगन चस्पा है बस दुकानदारों ने ही स्लोगन को शायद सच समझ बैठे और दूर प्रदेशों से आये व्यापारियों को यही भारी पढ़ गया।

दमोह के स्वदेशी मेले से मुस्लिम व्यापारियों को किया बाहर | New India Times

समाज विशेष के सभी एक दर्जन से अधिक दुकानदारों का कहना है पहले ने दुकान अलॉट कराई थी और दूर प्रदेशों से व्यापार करने दमोह आए थे, अचानक दुकान बंद होने से दुकानदारों को नुकसान हुआ है, इस बारे में दुकानदारों ने कुछ आपबीती सुनाते हुए उत्तरप्रदेश के आगरा से आए मोहम्मद रशीद खान बताते हैं हम लोग मेला में दूसरे राज्यों से आये अब लौट रहे हैं क्योंकि यहाँ हम मुस्लिमों को बोले कि तुम लोग यहाँ से दुकानें हटा लें वहीं काश्मीर से आए दुकानदार शाहिद खान का भी यही कहना है इसके अलावा लखनऊ से आये समीर खान और वकील अहमद भी मायूस होकर अपनी दुकान समेटने लगे।

दमोह के स्वदेशी मेले से मुस्लिम व्यापारियों को किया बाहर | New India Times

वहीं मेला आयोजन समिति के सह संयोजक राम पटेल का कहना है कि यह मेला समिति का नहीं दुकानदारों के वेंडर का मामला है समिति का कोई  कुछ संबंध नहीं दमोह के स्वदेशी जागरण मंच के मेले में हुए इस घटनाक्रम से जहां दो समुदायों के बीच एक लकीर खींच दी गई वहीं जिले के कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने मामले में जांच करने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर सरकारी सुविधाओं से भरपूर इस मेले को संस्था का व्यक्तिगत मामला बता रहे हैं।

हैरान करने वाली बात है पहले व्यवसायियों को आमंत्रित करना दो तीन दिन तक पैसा लेकर दुकानें चलने देना और बीच मेले से उन्हें निकाल बाहर करने से कहा एक समाज विशेष में आक्रोश है वहीं व्यापारी कहते है बड़े ने आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, ये तो बता आखिर मेरी खता क्या है।


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By nit

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