नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
2515, 1238 तीर्थक्षेत्र विकास MTDC, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क यह है ग्रामविकास और पर्यटन मंत्रालय से संबंधित कुछ योजनाओं का परिचय जिसे ठेकेदारों ने जनता में काफ़ी लोकप्रिय कर दिया है। इस विभाग के लिए केंद्र सरकार की ओर से सालभर पहले की रकम ठेकेदारों को उनके द्वारा किए गए काम के लिए चुका दी गई है। ग्रामीण जलापूर्ति स्वच्छता विभाग की पेयजल मिशन के चरणबद्ध ठेकों का पैसा भी आचार संहिता लागू होने के पहले केंद्र से निकालकर ठेकेदारों की जेब में डाल दिया गया है।
सरकार के कई ऐसे मंत्री हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में विरोधी नेताओं को सरकारी तिजोरी से 50-100-150-200 करोड़ रुपए तक के काम दे कर खुद की सीटें जीतने की सेटिंग कर रखी है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 के 100% बिल में 10%-25% तक की रकम का निर्धारण कर ठेकेदार लॉबी को बहाल की गई है लेकिन 75%-90% बकाया शेष है। महाराष्ट्र को आर्थिक संकट मे धकेलने वाली शिंदे फडणवीस सरकार ने सबसे अधिक अव्यवस्था लोक निर्माण विभाग के भीतर पैदा की है। PWD लगभग 50 हजार करोड़ रुपयों का देनदार है। प्रदेश में हर जनपद में ठेकेदार अनशन आंदोलन कर रहे है। कुछ ठेकेदार राजनीतिक रसूख के बलबूते दिल्ली में विनम्र भाव प्रकट कर रहे हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग के एक लाख करोड़ रुपए के टेंडर विश्व बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अन्य देशों से किए समंजस अनुबंधों (Memorandum of Understanding) के तहत उधारी पर पास कर दिए गए है। धूलिया में राज्य ठेकेदार संघ ने सामूहिक चर्चा कर अपना दुःख सार्वजनिक किया तब एक रिपोर्ट में New India Time’s ने इसको चुनाव से जोड़कर चिकित्सा की। ठेकेदार चौकीदार की रहनुमाई पर निर्भर है और वही अवसर अनुरोध के लिए चौकीदार के वफादार “शोर”गुल में मशगूल है। महाराष्ट्र में सरकार बदलती है तो वित्तीय कुप्रबंधन को अनुशासित करने के लिए प्रशासन को समय देना होगा। 23 नवंबर को पूरा पिक्चर साफ़ हो जाएगा।
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