यम द्वितीया पर बहन के घर भोजन से नहीं रहता यमराज का दोष : महंत प्रमोद जी महाराज | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

यम द्वितीया पर बहन के घर भोजन से नहीं रहता यमराज का दोष : महंत प्रमोद जी महाराज | New India Times

भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भैया दूज होता है वही भैया दूज को भ्रात द्वितीय के नाम से भी कई लोग जानते हैं इस दिन भाई अपने बहन के घर जाकर विधि-विधान से न्योता लेने की परंपरा को पूरी करते हैं और बहन के घर अन्न ग्रहण करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति, संपदा और भाई-बहन का प्रेम बना रहता है श्रीमती चंद्रकला आश्रम संस्कृत विद्यापीठ देवकली देवस्थली तीर्थ लखीमपुर-खीरी के महंत प्रमोद जी महराज लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक स्वतंत्र चेतना के संवाददाता को बताते हैं कि इस बार भैया दूज यानी भ्रात द्वितीया का पर्व मिथिला पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष दिन रविवार द्वितीया तिथि को मनाया जाएगा हालांकि उन्होंने कहा कि द्वितीया तिथि का प्रवेश 2 नवंबर को रात 7 बजकर 10 मिनट पर होगा, जो अगले दिन तीन नवंबर को रात्रि के 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा वहीं 3 नवंबर 2024 को लोग भैया दूज का पर्व मनायेंगे।

भैया दूज मनाने की क्या है पौराणिक परंपरा

महंत प्रमोद जी महराज स्वतंत्र चेतना समाचार पत्र के संवाददाता को आगे बताते हैं कि भैया दूज मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है भैया दूज का पर्व सनातन धर्म में लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं वहीं इस पर्व की पौराणिक मान्यता यमराज और यमुना से जुड़ी है इस दिन यम देवता अपनी बहन यमुना के घर जाकर विधि विधान से न्योता लेते थे और अपनी बहन के घर बने हुए अन्न को ग्रहण किया था, तब से ही भैया दूज का यह पर्व मनाया जाना जाने लगा है हालांकि यह पावन पर्व से भाई-बहन का अटूट विश्वास का प्रतीक है।

भाई दूज पूजन और तिलक विधि

महंत प्रमोद जी महराज बताते हैं कि पंचांग अनुसार, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बहनें भैया दूज मनाती हैं और भाई की सलामती की कामना करती है इस दिन सभी बहनें उपवास कर पूजा करेंगी बहनों को उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह कराके भाई का तिलक करना चाहिए और फिर मुंह मीठा कराना चाहिए। फिर उनकी आरती उतारनी चाहिए और नारियल देना चाहिए वहीं भाईयों को भी बहनों को उपहार देना चाहिए, ऐसा करना शुभ माना जाता है। पुराणों के उल्लेख के अनुसार सूर्य पुत्री यमी अर्थात् यमुना ने अपने भाई यम को कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने घर निमन्त्रित कर अपने हाथों से बना स्वादिष्ट भोजन कराया। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से एक वरदान मांगने को कहा।

तब यमुना ने अपने भाई यम से यही वरदान मांगा कि आज के दिन जो बहन अपने भाई को निमन्त्रण कर अपने घर बुलाएं, उन्हें भोजन कराएं और उनके माथे पर तिलक करें तो उन्हें आपका अर्थात् यम का भय ना हो। ऐसा कहने पर यमराज ने अपनी बहन को तथास्तु कहकर यह वरदान प्रदान किया। अत: आज के दिन जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करता है उन भाई-बहनों को यम का भय नहीं होता।

भाईदूज के दिन बहनें अपने भाई को निमन्त्रित कर उन्हें अपने हाथों से बना स्वादिष्ट भोजन कराएं और तिलक करें। भोजन के उपरान्त अपने भाई को ताम्बूल (पान) भेंट करें। मान्यता है कि ताम्बूल भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
यदि बहन के घर जाना सम्भव ना हो सके तो किसी नदी के तट या गाय को अपनी बहिन मानकर उसके समीप भोजन करना श्रेयस्कर रहता है।


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