रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
देश के बेहद चर्चित साहित्य साधक डॉ राम शंकर चंचल की ताजा कृति रूप नहीं रूह है यह हिंदी रूह प्रेम की अद्भुत यादगार लम्हों की कविताओं की जीवन्त कृति और अंग्रेजी में आदिवासी, जन जीवन की कथाओं की अद्भुत कृति जिसका अनुवाद डॉ पुलकिता आनन्द जी द्वारा किया गया है।
आज विश्व पटल पर अमेजन पर उपलब्ध है सचमुच झाबुआ आदिवासी जिले के लिए यह बेहद गर्व का विषय है कि आज उनके अपने जिले में जन्में डॉ राम शंकर चंचल की कृतियां हिंदी और अंग्रेजी भाषा में विश्व पटल पर सम्पूर्ण विश्व के लिए उपलब्ध है। इस अद्भुत अविरल उपलब्धि पर डॉ चंचल को पूरे देश से अनेक अनेक बधाई दी जा रही हैं। जिले के गणमान्य नागरिकों साहित्य मित्रों द्वारा भी बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया जा रहा है।
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