रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
एक जमाना था जब सीमित मनोरंजन के साधनों में से एक बहरूपिया हुआ करता था जो शहरी तहजीब व सिनेमा में चर्चित कलाकारों से शहर से दूर बसे ग्रामीणों तक पहुँचा कर उनका मनोरंजन करता था। ओर यही उनकी आजीविका का साधन भी होता था। जमाना बदला तो आज सोशल मीडिया में अनेक लोग रील के माध्यम से पैसा भी कमा रहे हैं जनता का मनोरंजन भी कर रहे हैं।
लेकिन सोशल मीडिया टीवी मोबाइल में दिखने वाले किरदार जब सामने आते हैं तो उनका क्रेज अलग ही होता है। ऐसे में एक बार फिर से थांदला नगर में आकाश नामक बहरूपिया आया हुआ है जो कभी जब्बर सिंह, कभी क्रूरसिंह (यककु), कभी जोकर, कभी अलादीन तो कभी मेरा गाँव मेरा देश के डाकू जब्बरसिंह जैसे अनेक रुप धारण कर जनता का मनोरंजन कर रहा है।
उन्हें देख कर उनके पिता बाबू भाई की स्मृति भी सहज सामने आ गई जो 4 दशकों से भी ज्यादा समय से झाबुआ के विभिन्न क्षेत्रों में आकर अनेक रूप धारण कर जनता को मोहित कर देते थे। परिवार से मिली विरासत को 45 वर्षीय आकाश ने पढ़े-लिखे होने के बावजूद ये बख़ूबी संभाले हुआ है।
उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के धार्मिक स्थल नाथद्वार (जयपुर) राजस्थान से थांदला में अपने पिता बाबूभाई भट्ट बहरूपिया के साथ बचपन में आते थे तब से उनके मन में कलाकार ने घर बना लिया है व अपनी 18 पीढ़ियों से चली आ रही इस परम्परा को आज भी न केवल जिंदा रखे हुए है अपितु लगभग लुप्त हो चुकी है इस कला को नई पीढ़ी की जनता को दिखा कर उनका मनोरंजन करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रहे है। आकाश भी लम्बे समय से फिल्मी सितारों के चर्चित संवाद बोलते हैं। उनकी वाणी में दबंगता है जो जनता को देखने और सुनने को मजबूर भी कर देती है।
अगर सरकार योजनाओं में करें उपयोग तो बच सकती है कला: पवन नाहर
देश के लगभग सभी राज्यों में अभिनय कौशल बता चुके आकाश अपने पिता के साथ गोवा फेस्टिवल व विदेशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता व अन्य दो भाई भी इस कला में पारंगत हैं। आज जनता के पास मनोरंजन के अनेक साधन है फिर भी आकाश को विभिन्न किरदारों में देखने की बेसब्री व उत्सुकता इसे आज भी लोकप्रियता में आगे रखती है।
पत्रकार पवन नाहर का मानना है कि आज मोबाइल युग में जब भी सोशल मीडिया जैसे एप पर किसी को अभिनय दिखाई देता है या इससे जुड़े एप निर्माण हुआ है तो उसमें कही ना कही बाबू भाई व आकाश जैसे पारंगत कलाकार का अप्रत्यक्ष हाथ जरूर दिखाई देता है। नाहर ने भारत सरकार, मध्यप्रदेश शासन प्रशासन से निवेदन करते हुए कहा कि उन्हें चाहिये की वह भी लुप्त होती इस बहरूपिया कला का शासकीय योजनाओं के प्रचार प्रसार में उपयोग करें तो न केवल जनता तक योजनाओं की जानकारी पहुँचेगी अपितु ऐसी लुप्त होती कला को भी संजीवनी मिलेगी।
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