बड़ी-बड़ी पार्टियों की ओर से चुनाव में अपने लोग उतारकर किया जाता है लीगल कैप्चरिंग | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बड़ी-बड़ी पार्टियों की ओर से चुनाव में अपने लोग उतारकर किया जाता है लीगल कैप्चरिंग | New India Times

“अपने अपने हथियार डाल दो पुलिस ने तुम्हें चारो तरफ से घेर लिया है” 1970 के दशक की फिल्मों के इस संवाद से लूट को अंजाम देने आए अपराधियों की हार सुनिश्चित की जाती थी। 50 साल बाद पर्दे पर और आम जन जीवन में लूट की कई तकनीके लोकतान्त्रिक हो चुकी है। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव है किसी सीट से दशकों नेतृत्व करने वाले नाकारा नेता जनता के मुंह से उद्धार पाने के बाद भी केवल चुनावी रणनीति के कारण कुर्सी पर बने रहते हैं। उदाहरण के तौर पर A के पास प्रचंड धन और मानव संसाधन है वो 25/30 साल से B के खिलाफ़ चुनकर आ रहा है।

किसी टर्म में B की स्थिती मजबूत नज़र आने पर A ने गांव-गांव के मतदान बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं को भारी तादाद में तैनात करने की चाल चली। इसके तहत अपने हि अनेकों अपुष्ट तत्वों को बतौर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया। इन अपुष्टों को हम CDEFG…. नाम से पहचान देते हैं। अब कथित तौर पर निर्दलीय के रूप में लड़ रहे इन CDEFG …तत्वों को हर बूथ पर अपने लिए जो एजेंट नियुक्त करने हैं वो A की ओर से नियुक्त किए जा रहे हैं। B की तो इतनी आर्थिक क्षमता नहीं है कि वो यह महंगा हथकंडा इस्तेमाल कर सके।

वोटिंग के दिन वोटर जब बूथ पर वोट देने जाता है तब बूथ पर A के साथ साथ CDEFG… के प्रतिनिधि A के पक्ष में वोटर को प्रभावित करते है। इस प्रकार से A ने B के खिलाफ़ कानून के दायरे में रहकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रत्यक्ष ऐसी बूथ कैप्चरिंग को अंजाम दिया जिस को आपत्ती पश्चात साबित करना B के लिए खतरे और जोखिम से भरा है।

A का दूसरा सबसे बड़ा कोर वर्कर है सिस्टम मे काम करने वाला वो नौकर जो सालभर सरकारी प्रोटोकॉल के आड़ में A के साथ उसके कार्यकर्ता के भेस में नजर आता है। लोकतंत्र के पवित्र उत्सव में खेले जाने वाले इस खेल को साफगोई के साथ जनता के सामने रखने के लिए हमने ABCDEFG को रूपक के तौर पर पेश किया है। सदन में विपक्ष को भी किसी 2A के बारे में देश को बताने के लिए A1, A2 बुलाना पड़ता है जिसे सचिवालय के रेकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता।


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By nit

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