आसमान में यात्रारत बादल जमीन के समीप टकराए, भूकंप की तरह थरथराई ज़मीन, बाल बाल बची हजारों जिंदगियां | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

आसमान में यात्रारत बादल जमीन के समीप टकराए, भूकंप की तरह थरथराई ज़मीन, बाल बाल बची हजारों जिंदगियां | New India Times

14 अक्टूबर की रात करीब 1 बजकर 10 मिनट को जामनेर के आसमान में अनंत लीटर पानी को ढोने वाले यात्रारत बादल फटते फटते रह गए। प्रकृति के इस रूप को हमने स्वयं अनुभव किया। 13 अक्टूबर की रात 10 से 11 के बीच जामनेर में मूसलाधार बारिश शुरू हुई। पूरे जिले के आसमानी क्षेत्र में बिजली चमक रही थी कहीं न कहीं किसी इलाके में बारिश जारी थी। जामनेर में दुर्गा विसर्जन शोभा यात्रा की कतार में करीब 40 मंडल लगे हुए थे। जैसे हि धुवांधार बारिश शुरू हुई सारे दुर्गा भक्त सड़कों से गायब हो गए। 11 से 12 के बीच बारिश धीमी हो गई बिजली का चमकना रुक नहीं रहा था। 12 बजे कैलेंडर की तारीख 14 अक्टूबर हुई।

आसमान में यात्रारत बादल जमीन के समीप टकराए, भूकंप की तरह थरथराई ज़मीन, बाल बाल बची हजारों जिंदगियां | New India Times

फिर से वर्षा ने जोर पकड़ा पानी से भरे बादल आसमान में तेजी से यात्रा करते नजर आए। 1 से 1:20 के दौरान बादलों का काफी विशालकाय झुंड शहर के ऊपर से काफी नीचे हो कर गुजरा तभी इतना प्रचंड टकराव और ध्वनीक्षेप हुआ की आवाज़ की कंपन से टीन से बने शेड हिल गए। कुछ देर के लिए लगा की भूकंप तो नहीं आ गया है। बादलों के टकराने का आवाज़ से सीमेंट के घरों में सोए लोगों की नींद शायद खराब हुई होगी। 60 से 120 सेकेंड की इस घटना ने कुदरत की अथाह शक्ति का परिचय दिया। अगर इस बीच असीमित पानी से भरे वो बादल फट जाते तो सुबह का मंजर भयानक हो सकता था।

मौसम विभाग ने इस घटना को वैज्ञानिक संसाधनों के माध्यम से कैसे रेकॉर्ड किया हमें पता नहीं। जनपद में मौसम विभाग की मुस्तैदी किस स्तर की है इस पर प्रशासन ने आज तक व्यापक जन संवाद स्थापित नहीं किया है। सरकार की तिज़ोरी से कर्तव्य निर्वहन करने वाले अहंकार का शिकार हो कर आम जनता द्वारा खुद को “धन्यवाद”  दिलवाने के बजाय तकनीकी सिस्टम के सटीक इस्तेमाल पर ध्यान दें तो मानवता के लिए सकारात्मक प्रयास होगा।


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By nit

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