अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT; राजस्थान में यूनानी पेथी में चिकित्सक बनने व इस पेथी से गम्भीर से गम्भीर रोग को जड़मूल से उखाड़ फेंकने का पुख्ता ईलाज होने का एक अपना लम्बा व सुनहरा इतिहास रहा है। राजस्थान में स्टेट टाईम के समय जब राजपूताना विश्वविधालय हुवा करता था। उसी समय राजपूताना यूनानी मेडीकल काॅलेज भी हुवा करता था। जिसमें उस समय अधीकांश स्टूडेंट्स यूपी व बिहार से ही आकर प्रवेश लिया करते थे। उसके बाद टोंक रियासत के लोगों ने एक और राजस्थान यूनानी मेडीकल कालेज जयपुर में शुरु किया था। जिसमें भी अधीकांश यूपी व बिहार के स्टूडेंट्स ही प्रवेश लिया करते थे। सालों तक राजस्थान के बच्चों में यूनानी पेथी के प्रति रुझान नहीं बना तो यूपी के बच्चों ने इस पेथी में प्रवेश लेकर इन कालेजों की मान्यताओं को बचाये रखा था। लेकिन पिछले दस साल से यूनानी पेथी की तरफ राजस्थान के बच्चो का रुझान भी तेजी के साथ बढा है। जिसके चलते अनेक बच्चे चिकित्सक बनकर सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिनमें सीकर शहर के बच्चों की तादात काफी ज्यादा है।
यूनानी पेथी के पिछले आठ साल के इतिहास पर अगर नजर डालें तो सीकर की बेटियों का ऐलोपेथी के साथ साथ होम्यो, आयूर्वेद व यूनानी की तरफ भी काफी तेजी के साथ रुझान बढा है। जिन बेटियों का ऐलोपेथी MBBS में प्रवेश नहीं हो पाता है तो उनमें से अधिकांश बेटियां यूनानी पेथी की तरफ ही रुझान करती नजर आ रही हैं। एक प्री टेस्ट के बाद मेरिट आधार पर प्रवेश पाने की इच्छुक राजस्थान भर की कुल बेटियों में से अकेले सीकर शहर की बेटियों का हिस्सा पच्चास प्रतिशत से अधिक होना पाया जाता है। इसी साल भी ऐसा ही होना पाया गया है। सीकर शहर की करीब दस बेटियों ने इस साल यूनानी पेथी में प्रवेश पाया है। इसके बावजूद 100 के करीब बेटियां प्रवेश पाने से वंचित रहने से वो अगले साल प्रवेश पाने की तमन्ना दिल में पाल कर फिर से कोचिंग लेना शुरु कर दी हैं।सीनियर विज्ञान ( जीव विज्ञान) पास करने की बाध्यता के बाद इस पेथी में प्री टेस्ट के मार्फत प्रवेश पाने वाली इस साल भी सीकर की बेटियों की तादात काफी संतोषजनक बताई जा रही है। लेकिन उससे कई गुणा अधिक बेटियों को इस साल प्रवेश ना मिलना बडा दुखदायक साबित हो रहा है। राजस्थान में मौजूद तीन यूनानी मेडीकल कलेज की कुल 140 सीट में से इस साल केवल एक राजपुताना यूनानी मेडीकल कालेज की पच्चास सीट में से सीकर शहर की बेटियों के प्रवेश पाने वाली रहमत, सना, मेहराज, जैनब, इरम, कुबा, सहित अन्य बेटियां बताते हैं। इसके अलावा टोंक की सरकारी यूनानी मेडीकल कालेज व जयपुर में निजी तौर पर संचालित होने वाली राजस्थान यूनानी मेडीकल कालेज में प्रवेश पाने वाली बेटियां अलग से हैं।
राजस्थान में पहले जयपुर में राजपुताना व राजस्थान नामक दो यूनानी मेडिकल कालेज निजी तौर पर संचालित होते थे। लेकिन पिछले साल से टोंक में सरकारी स्तर पर भी यूनानी मेडिकल कालेज शुरु होने के बाद अब प्रदेश में तीन यूनानी मेडिकल कालेज संचालित हो रहे है। जिनमें मैनेजमेंट कोटे सहित कुल 140 सीट बताते हैं। जिनमें से दस प्रतीशत से अधीक सीट पर केवल सीकर शहर के बेटा-बेटी हर साल प्रवेश पाने मे सफल हो जाते हैं। सीकर शहर की ऐक्सीलेंस गलर्स स्कूल, मुस्लिम गलर्स स्कूल व अंजुमन गलर्स स्कूल के यहां शिक्षा प्राप्त करने वाली अधीकांश बेटियों ने ही अब तक यूनानी पेथी में प्रवेश अधीक पाया है। इसके विपरीत दो दर्जन के करीब सीकर की बेटियों ने यूनानी पेथी की चिकित्सक बनकर सरकारी सेवा या प्रेक्टिस में कार्यरत हैं।
कुल मिलाकर यह है कि सीकर शहर मे MBBS के बाद यूनानी पेथी में चिकित्सक बनने का रुझान जिस तरह से सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय में बढ रहा है, उसको कायम रखना समुदाय के जागरुक लोगों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले हमारे सामाजिक चिंतकों का भी पहला कर्तव्य है। दूसरी तरफ सरकार से सीकर में अलग से यूनानु मेडीकल कालेज खोलने की मांग अब जाकर जोर पकड़ने लगी है।
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