शेरा मिश्रा/अविनाश द्विवेदी, कटनी (मप्र), NIT; कैमोर औद्योगिक नगरी होते हुए भी यहाँ युवकों को कोई रोजगार मुहैया नहीं हो पा रही है। नगर व आसपास के नव युवा रोजगार के लिए दरदर भटक रहे हैं। रोजगार के नाम पर मध्यप्रदेश शासन ने अनेकों शिविर लगाए किन्तु यह दुर्भाग्य पुर्ण रहा। राजनीतिक दिखावा तो खूब हुआ लेकिन रोजगार के नाम पर ठेंगा दिखा दिया गया। रोजगार का दिखावा करने वालों ने युवाओं को वेंडर तो बना दिया किन्तु वर्क आर्डर नहीं दिया जिससे स्थिति ज्यों की तत्यों बनी रही।
कैमोर औद्योगिक नगरी में एसीसी सीमेंट प्लांट है जो करोड़ों का व्यापार कर रहा है, किन्तु इस उद्योग ने पैसों के बलबूते पर क्षेत्र का ही शोषण कर डाला है। बताया जाता है कि युवा पीढ़ी रोजगार के लिए नेताओं के चौखट पर सर रगड़ रही है किन्तु रोजगार नहीं मिल रहा है। आरोप है कि एसीसी कैमोर ने शासकीय योजना को धोखा देते हुए नव युवकों के बैंडर जारी किए और शासन को दस्तावेज में बता रही है कि हमने पुरे क्षेत्र को बेरोजगार मुक्त कर दिया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। वेंडर तो बेरोजगारों के बने किन्तु उन बेरोजगारों को वर्क आर्डर नही दिया गया, जबकि एसीसी सीमेंट प्लांट ने कुछ वेंडर धारकों को एक वेंडर पर ही दर्जनों काम दे रही है।
मुहदेखी रवैये से उमड़ रहा आक्रोश
एसीसी के मुह देखी रवैये से युवाओं का आक्रोश फूटता नजर आ रहा है। कुछ वेंडर धारक नेताओं की वजह से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। एक ही वेंडर में दर्जनों कार्य कर रहे हैं जबकि कुछ वेंडर धारक हाथों में रोजगार के नाम पर वेंडर लिए रोजगार को ही तरस रहे हैं। जबकि शासकीय नियमानुसार वेंडर धारक को कार्य देना अनिवार्य है, ऐसा न होने की दशा में वेंडर धारक न्याय की गुहार लगाने में स्वतंत्र होता है।
इस विषय पर जब एसीसी मैनेजमेंट कैमोर के अधिकारीयों से NIT संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा की कुछ वेंडर धारक काम को लेकर देर रात फोन पर शराब के नशे मे हमारे अधिकारीयों से बदसलूकी करते हैं, इसलिए हम शराबियों को प्लांट से दूर रखते हैं।
वजह कुछ भी हो किन्तु युवाओं का आक्रोश बढता दिख रहा है। वहीं युवाओं का कहना है कि एसीसी हम बेरोजगारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कुछ को एक ही वेंडर पर अनेकों कार्य दे रही है तो कुछ को सिर्फ वेंडर दिए गए है कार्य करने की अनुमति नहीं है। जिन वेंडर धारकों को अधिक कार्य दिएएगए हैं वह नेताओं की पकड और पहुंच का लाभ उठा रहे हैं। जिनकी पकड व पहुंच नहीं है वह बेरोजगारी के आलम में हैं।
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