वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनपद में सभी सीएचसी, पीएचसी व उप केद्रों सहित सीएमओ ऑफिस में भी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान एक जागरूकता रैली निकाली गई, जिसे हरी झंडी दिखाकर सीएमएस जिला महिला चिकित्सालय डॉ ज्योति मेहरोत्रा ने रवाना किया। वहीं पालतू एवं आवारा कुत्तों को वैक्सीनेटर करने के लिए एक कैंप का आयोजन जिला पशु चिकित्सालय में किया गया।
इस दौरान सीएमएस जिला महिला चिकित्सालय डॉ ज्योति मेहरोत्रा ने बताया कि रेबीज के बारे में लोगों को जागरूक करने और इस जानलेवा बीमारी से लोगों को बचाने के उद्देश्य से हर साल विश्वभर में 28 सितंबर को रेबीज डे मनाया जाता है। इस दिन फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर की डेथ एनिवर्सिरी होती है, जिन्होंने सन् 1885 में पहली बार रेबीज की वैक्सीन को विकसित किया था। आज ये वैक्सीन जानवरों और मनुष्यों के बीच महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है। इसके इस्तेमाल से मनुष्यों में रेबीज से होने वाले खतरे को कम किया जा सकता है। रेबीज डे को हर साल नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इस साल की थीम ब्रेकिंग रेबीज बाउंड्रीज है। जागरूकता को जनमानस में पहुंचने के लिए एक रैली निकाली गई है जो शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस सीएमओ ऑफिस में आकर संपन्न हुई है।
नोडल अधिकारी एंटी रेबीज कार्यक्रम/डिप्टी सीएमओ लालजी पासी ने बताया कि जनपद की सभी सीएचसी पीएचसी व उप केद्रों पर भी यह कार्यक्रम मनाया जा रहा है। लोगों को रेबीज से बचने के लिए 24 सितंबर को एक जिला स्तरीय अधिकारियों की गोष्टी सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता के नेतृत्व में हुई थी। जिसमें नगर पालिका और जिला पशु चिकित्सालय के द्वारा आवारा कुत्तों को भी वैक्सीनेटर करने पर विचार विमर्श हुआ था। इसी के तहत शनिवार को एक कैंप जिला पशु चिकित्सालय में लगाया गया है। जहां नगर पालिका के कर्मियों द्वारा पालतू एवं आवारा कुत्तों को पकड़ कर वैक्सीनेटर किया जा रहा है। सभी अपने पालतू कुत्तों को भी वैक्सीनेटर करवाएं और कुत्ते बिल्ली या बंदर के काटने पर या उनके खरोचने पर एंटी रेबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं यह एक जानलेवा बीमारी है। इससे बचाव ही इसका इलाज है।
एसीएमओ डॉ अनिल गुप्ता ने बताया कि यह बीमारी कुत्तों के काटने से सबसे ज्यादा फैलती है। रेबीज की बीमारी डब्ल्यूएचओ के अनुसार रेबीज लासा वायरस से इंफेक्टेड जानवरों के काटने की वजह से इंसानों में फैलती है। एसीएमओ डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि यह एक जूनोटिक बीमारी है, जो इंफेक्टेड बिल्ली, कुत्ते और बंदर के काटने से मनुष्यों को हो सकती है। ये ब्रेन में सूजन का कारण भी बन सकती है। माना जाता है कि 99 प्रतिशत मामलों में कुत्तों की वजह से इंसान में रेबीज फैलता है। जिस वजह से रेबीज डेथ की संख्या बढ़ी है। इस दौरान एसीएमओ डॉ एसपी मिश्रा व डॉ अनिल गुप्ता, डिप्टी सीएमओ डॉ अमित सिंह,डॉ पूनम, रवि श्रीवास्तव व आलोक कुमार व डीएमओ हरिशंकर सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
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