भाजपा के दिग्गज नेता सांसद घनश्याम तिवाड़ी का सीकर में फिर से बढ़ने लगा है राजनीतिक वर्चस्व | New India TimesOplus_131072

अशफाक कायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:

भाजपा के दिग्गज नेता सांसद घनश्याम तिवाड़ी का सीकर में फिर से बढ़ने लगा है राजनीतिक वर्चस्व | New India Times

सीकर की पावन धरती के बेटे व चौमूं-सांगानेर के अलावा शुरुआत मे सीकर विधानसभा से दो दफा भाजपा से विधायक बनकर पहले प्रदेश व अब राष्ट्रीय राजनीति के दिग्गज राजनेता घनश्याम तिवाड़ी का सीकर की राजनीति मे फिर से वर्चस्व बढता नजर आने लगा है।
वर्तमान में राज्यसभा सदस्य घनश्याम तिवारी 1980 व 1985 में सीकर से विधायक बने। फिर 1990 में सीकर से चुनाव हारने पर फिर उन्होंने चौमू व उसके बाद सांगानेर विधानसभा का रुख करके चुनाव जीते व हारे भी। लेकिन उनकी राजनीतिक समझ व उनकी सक्रियता के चलते वो हमेशा से चर्चा में रहे। उन्होंने अपना राजनीतिक दल भी बनाया तो कुछ समय वो कांग्रेस में भी रहे। लेकिन वो जल्द भाजपा में फिर से लौट आये। लौटने पर भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बना दिया।
सांसद तिवारी के राजनीतिक वारिस के तौर पर अब उनके पूत्र आशिश तिवाड़ी ने भी राजनीति में पैर जमाना शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के समय सीकर विधानसभा से आशिश तिवाड़ी का सीकर से भाजपा उम्मीदवार बनने के लिये नाम भी चर्चा मे काफी रहा था। राष्ट्र के बडे मंदिरों व गद्दी मे से एक रेवासा धाम के मुख्य ट्रस्टी भी आशिश तिवाड़ी बने है। ट्रस्टी के तूरंत बाद सीकर जिला क्रिकेट एशोसिएशन के आशिश तिवाड़ी कोषाध्यक्ष बनाये गये है।
कुल मिलाकर यह है कि सीकर की राजनीति के मामले मे सांसद घनश्याम तिवाड़ी के साथ साथ अब उनके पूत्र आशिश तिवाड़ी की सक्रियता भी बढती नजर आने लगी है। तिवाड़ी के राज्यसभा सदस्य के तौर पर मिलने वाले निधि विकास कोटे का उपयोग सीकर विधानसभा मे भी खर्च किया जाने लगा है। सीकर की राजनीति मे सांसद घनश्याम तिवाड़ी का वर्चस्व बढता अब साफ नजर आने लगा है। अनेक लोग उनके पूत्र से सीधे सम्पर्क मे आने लगे हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading