रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े इलाके का अद्भुत साहित्य मसीहा मेहनत से, अथक परिश्रम से सालों से पूरी रात जाग कर आज पूरे विश्व पटल पर मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े इलाके के जन जीवन पीड़ा दर्द आदि को लिखनी के माध्यम से अपनी पहचान है साथ आदिवासी झाबुआ जिले की पहचान के साथ उनकी बात जीवन को पहुंचा सचमुच, बेहद बड़ा इतिहास रचा है जितनी भी तारीफ़ की जाय इस अद्भुत साहित्य साधक की साधना की कम होगी इतनी बड़ी आबादी में एक मात्र ऐसा व्यक्ति है साहित्य साधक है जिसने उम्र के १७ साल से लिखना शुरू कर दिया था और आज तक सत् त करते हुए अथाह भंडार दिया है। आदिवासी जन जीवन के परिवेश पर जो सदा ही स्मरण रहने के साथ आने वाले कल के लिए प्रेरणा देता है, जिसने सेंकड़ों आदिवासी जन जीवन पर, कविता कथा आलेख, फिल्म, आदि आदि के माध्यम से आज एक ऐसा अद्भुत नेक काम किया है जो, आज पूरे देश के लिए विश्व के लिए वन्दनीय है।
प्रणाम करने को दिल चाहता है इस अद्भुत साधक की अनमोल धरोहर पूंजी आदिवासी साहित्य को उसके अथक परिश्रम को साधना को जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन इस नेक काम करने मै लगा कर खुद के जीवन को भी सार्थक कर दिया धन्य हैं झाबुआ देव भूमि धन्य हैं मध्य प्रदेश जहाँ इस तरह के अद्भुत कालजयी साहित्य साधक है। हिन्दी दिवस के इस शुभ अवसर पर इस। महान सादगी सरलता से धनी साहित्य साधक को यह देश , विश्व के साहित्य साधक प्रणाम करते हैं और उनकी लम्बी उम्र की कामना करते हैं।
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