नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
भाजपा नेता गिरीश महाजन का गृह निर्वाचन क्षेत्र जामनेर विपक्ष द्वारा राजस्व प्रशासन पर लगाए गए बोगस मतदाता सूची के आरोपों को लेकर सुर्खियों में है। जैसे हि यह खबर और इसके विडियो लोकल मीडिया में प्रसारित हुए वैसे आम लोगों की प्रतिक्रिया थी कि ” चुनाव नज़दीक आ गए है “। महाविकास आघाड़ी के ब्लॉक प्रमुखों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि निर्वाचन क्षेत्र के कुल मतदाताओं में 42 हजार वोटरों के नाम दोबारा से पंजीकृत है मतलब यह वोटर बोगस है। प्रमुखों ने इस बात से प्रशासन को अवगत कराया, लिखित में आपत्ति और शिकायत दोनों दर्ज कराए।
आठ दिन बीतने के बाद तहसीलदार ने दोबारा लिस्टेड वोटरों को नोटिस तक दिया नहीं, अलबत्ता यह कहकर टालमटोल का प्रयास किया की 15 दिन का समय होता है करेंगे, न हो सका तो अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद भी कार्रवाई करी जा सकती है। नेताओं ने तहसीलदार पर पक्षपाती होने का गंभीर आरोप जड़ दिया जिसे तहसीलदार नानासाहब आगले ने सिरे से नकार दिया। संविधान की सटीक जानकारी रखने वाले कार्यकर्ताओं ने तहसीलदार से मत्थाचप्पी करी। आघाड़ी के आरोप कोई नई बात नहीं है उनमें तथ्य हो सकता है। हर पांच साल बाद जब विधानसभा का चुनाव आता है तब आघाड़ी इस मामले को लेकर जनता के बीच जाती है पर हाई कोर्ट जाने से कतराती है।
नागपुर के हिंगणा विधानसभा क्षेत्र में प्रशासन ने दोबारा और फर्जी पाए 30 हजार वोट सूची से हटा दिए हैं। भारत में सैकड़ों मामले भरे पड़े हैं जिनमें अतिरिक्त वोटों को डी लिस्टिंग किया गया है। चुनाव आयोग की ओर से वोटिंग से जुड़ी प्रक्रिया 24/7 Hours जारी रहती है। जामनेर की आवाम ने बीते 30 साल में एक बार भी नहीं देखा कि विपक्ष ने नए वोटर पंजीकरण, वोटिंग कार्ड से आधार कार्ड लिंक, समय समय पर तथ्यात्मक शिकायते दर्ज कराने के लिए सार्वजनिक रूप से कही कोई टेबल लगाया हो और जनता के बीच उनके मतदान के अधिकार को लेकर जनजागरण अभियान चलाया हो। यहां तक की विपक्ष अपने अपने पार्टियों के लिए नूतन सदस्य पंजीकरण के टेबल भी नहीं लगा पाया है ऐसा करते तो यह डेटा आज विपक्ष के काफी काम आ सकता था। आघाड़ी इस लड़ाई को कहां तक और कैसे लड़ती है यह देखना दिलचस्प होगा।
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