नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
19 जून 2024 से आज तक जामनेर शहर में एक अजीब सी मुहिम चलाई जा रही है। नगर परिषद प्रशासन की ओर से अतिक्रमण के नाम पर सड़क पर चलने फिरने वाले ठेलों पर आक्रमण किया जा रहा है। निगम के सफ़ाई कर्मचारी ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ अचानक आते हैं चलती फिरती दुकानों पर बिक्री के लिए रखा माल उठाकर ट्रॉली में डाल देते हैं। न कोई पंचनामा न को प्रतिबाधक कार्रवाई, निगम का यह दादागिरी टाइप बर्ताव छोटे दुकानदारों के लिए मानसिक छल का कारण बन गया है। कल परसो मुस्लिम बहुल इलाके में कार्रवाई के दौरान सफाई कर्मी से हुई कहासुनी ने जातिगत तनाव पैदा कर दिया। तीन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गंभीर अपराध के श्रेणी में आरोपी बनाया गया।
आए दिन होने वाली इस मनचली कार्रवाई के कारण 30/40 परिवार रोजी रोटी के लिए जामनेर से पलायन करने को मजबूर है। जलगांव जिले में जलगांव शहर से लेकर किसी भी बड़े शहर में प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने की मुहिम नहीं चल रही है। फिर जामनेर में हि इस मुहिम का औचित्य क्या है? हमने बुलडाना के मलकापुर नगर निगम का मुआयना किया वहा भी ऐसी कोई मुहिम नहीं है। बारिश के दिनों में अतिक्रमण नहीं निकाला जा सकता यह सरकार का निर्णय है। जब फर्श से अर्श पर उठे इंसान को फर्श की सुंदरता गंदगी मालूम पड़ने लगती है तब फर्श के मुफलिसो की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपनी खुद्दारी से कोई समझौता न करे कालचक्र अपना कार्यभाग ईमानदारी से पूरा करता है।
बेघर होंगे 308 परिवार: पारोला तहसील के पिंपरी प्र ऊ में ग्राम पंचायत ने 308 परिवारों को अपने घर हटाने के लिए नोटिस जारी किए हैं। इस अन्याय के खिलाफ़ पीड़ित परिवारों ने जिला परिषद जलगांव की मुख्य इमारत के सामने आंदोलन किया। बड़े , बूढ़े , बच्चे , महिलाएं न्याय की गुहार लगाते रहे पर शाम तक कोई सूद लेने नहीं आया। आंदोलको की मांग है कि घर गिरवाने के आदेश वापिस लिए जाने चाहिए, उनकी बात सुनी जाए और न्याय मिले।
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