मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल ने बुरहानपुर के दो मरहूम उस्ताद शायरों को प्रोग्राम के माध्यम से दी श्रद्धांजलि | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल ने बुरहानपुर के दो मरहूम उस्ताद शायरों को प्रोग्राम के माध्यम से दी श्रद्धांजलि | New India Times

बुरहानपुर के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर डॉक्टर जलील बुरहानपुर की पुस्तक कुलयाते खादिम के साथ बुरहानपुर के एक और शायर सैय्यद रियासत अली रियासत को मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल से प्रदेश स्तरीय अवार्ड से सम्मानित होने के संदर्भ में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्वावधान में ज़िला अदब गोशा, बुरहानपुर द्वारा सिलसिला एवं तलाशे जौहर के अंतर्गत प्रसिद्ध शायरों एवं साहित्यकारों उस्ताद खादिम अशरफ़ी और शफ़क़ उर राशिदी को समर्पित विमर्श एवं रचना पाठ  का आयोजन रविवार, 25 अगस्त 2024 को हुमायूँ मेनशन, दाऊद पुरा, बुरहानपुर में संपन्न हुआ।

अकादमी की निदेशक और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायरा डॉ नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम के बारे में बताया कि मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा बुरहानपुर में आयोजित “सिलसिला” और “तलाशे जौहर” अकादमी का महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं। इस बार यह कार्यक्रम बुरहानपुर के दो बुज़ुर्ग मरहूम उस्ताद शायर खादिम अशरफ़ी और शफ़क़ उर राशिदी को समर्पित है। इन साहित्यकारों और शायरों का साहित्यिक योगदान उनकी लेखनी में दिखाई देता है, जिसमें समाज और संस्कृति की गहरी समझ मिलती है। उनके शिष्य और अनुयायी आज भी उन्हें याद करते हैं और उनके साहित्य से प्रेरणा पाते हैं।बुरहानपुर रत्न डॉ. जलील बुरहानपुरी द्वारा ‘कुलियाते खादिम अशरफ़ी’ का संकलन इस महान साहित्यकार को एक उम्दा श्रद्धांजलि है।
हमें पूरा यक़ीन है कि अकादमी द्वारा नए लिखने वालों की तलाश “तलाशे जौहर” में बुरहानपुर से हमें ऐसी ही प्रतिभाएं फिर मिलेंगी।

बुरहानपुर ज़िले के समन्वयक, शायर शऊर आशना ने बताया कि विमर्श एवं रचना पाठ दो सत्रों पर आधारित था। प्रथम सत्र में दोपहर 2:30 बजे तलाशे जौहर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें ज़िले के नये रचनाकारों ने तात्कालिक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। निर्णायक मंडल के रूप में उज्जैन के वरिष्ठ शायर हमीद गौहर खंडवा के प्रसिद्ध शायर  सूफ़ियान काज़ी उपस्थित रहे। जिन्होंने  प्रतिभागियों शेर कहने के लिए निम्न दो तरही मिसरे दिए थे:

1. आप चाहें तो क्या नहीं होता (उस्ताद खादिम अशरफ़ी) फूल मेरी क़ब्र के मुरझा गये ( उस्ताद शफ़क़ उर राशिदी)
उपरोक्त मिसरों पर नए रचनाकारों द्वारा कही गई ग़ज़लों पर एवं उनकी प्रस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल के संयुक्त निर्णय से क़य्यूम अफ़सर ने प्रथम, शकील एजाज़ ने द्वित्तीय एवं हारिस अली हारिस ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले तीनों विजेता रचनाकारों को उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि क्रमशः 3000/-, 2000/- और 1000/- एवं प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

दूसरे सत्र में शाम 4 बजे सिलसिला के तहत विमर्श एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता बुरहानपुर के वरिष्ठ शायर मजाज़ आशना ने की एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में नईम अख्तर ख़ादिमी, एडवोकेट आसिफ़उद्दीन जे शेख़, मुशर्रफ़ खान, वरिष्ठ शायर लतीफ़ शाहिद, साहित्यकार डॉ एस एम शकील एवं रियासत अली रियासत एवं मसूद खान मंच पर उपस्थित रहे। इस सत्र के प्रारंभ में ताहिर नक्क़ाश ने उस्ताद खादिम अशरफ़ी के बहुमुखी व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर और  एडवोकेट ज़हीरुद्दीन अर्श ने उस्ताद शफ़क़ उर राशिदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

ताहिर नक्क़ाश ने उस्ताद खादिम अशरफ़ी के बारे में बात करते हुए कहा कि खादिम अशरफ़ी बुरहानपुर की साहित्यिक फ़ज़ा में बरसों तक गूंजते रहने वाला नाम है। एक ऐसा नाम जिसकी बाज़गश्त आज भी साफ़ सुनाई देती है। बीसवीं सदी के निस्फ़ आख़िर के ऐसे बहुत से लोग मिल जाते हैं जिन्होंने खादिम अशरफ़ी से ज्ञान प्राप्त किया और उनके प्रेम और स्नेह के ऐसे क़ायल हुए कि पूरी ज़िन्दगी उनसे जुड़े रहे। खादिम अशरफ़ी ने भी अपने नाम और मुक़ाम की लाज रखी और पूरी ज़िन्दगी भाषा एवं साहित्य की सेवा करते रहे।

हाल ही में बुरहानपुर के वरिष्ठ शायर एवं साहित्यकार डॉ जलील बुरहानपुरी ने उनकी रचनाओं का संकलन ‘कुलियाते खादिम अशरफ़ी’ के नाम से किया है। वहीं एडवोकेट ज़हीरुद्दीन अर्श ने उस्ताद शफ़क़ उर राशिदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुरहानपुर के साहित्यिक क्षितिज को माज़ी में उर्दू शायरी के हवाले से जिन सितारों ने अपनी रौशनी से रौशन किया उनमें एक चमकता हुआ नाम शफ़क़ उर राशिदी का है। उनकी याद में होने वाला ये कार्यक्रम इस बात की दलील है कि उन्होेंने आवाम के दिलों पर राज किया। उनके कलाम में जहाँ रिवायत की पासदारी और तहज़ीब की अलमबरदारी देखने को मिलती है वहीं अपने ज़माने के मसाइल और उनसे डट कर मुक़ाबला करने का हौसला भी मिलता है। उन्होंने ने शायरी की कई विधाओं में अपने क़लम के जौहर दिखाये।सिलसिला एवं तलाशे जौहर का संचालन और आभार शऊर आशना द्वारा किया गया।


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