नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनाव भाजपा को जितवाने के लिए काफ़ी खास तरीके से प्लान किए जा रहे है। जम्मू कश्मीर और हरियाणा में आयोग ने चुनाव घोषित कर दिए लेकिन महाराष्ट्र को टाल दिया। ठीक इसी प्रकार से तीव्र विरोध के बाद ऊर्जा मंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रीपेड बिजली मीटर के कार्यान्वयन को स्थगित किए जाने की घोषणा तो कर दी जो बाद मे फर्जी साबित हुई है। New India Time’s ने स्मार्ट मीटर को लेकर मई 24 और जून 14, 2024 को विशेष रिपोर्ट की थी।
देवेन्द्र फडणवीस ने गौतम अडानी को स्मार्ट बिजली मीटर का करीब 13 हजार 888 करोड़ का टेंडर दिया है। राज्य में दो लाख स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर बिठाए जा चुके है। जलगांव के सरकारी दफ्तरों समेत बिजली सब स्टेशन मे स्मार्ट मीटर बिठाए जाने का काम शुरू है। किसी भी समय ये मीटर आप जनता के घर पर दस्तक दे सकते है।
मीटर लगाने के मुहिम की गति जानबूझकर धीमी करी गई है, स्थगित नहीं। घरेलू इस्तेमाल के लिए 0 से 100 यूनिट का बिजली बिल 38% बढ़ोतरी के साथ प्रति यूनिट 9 रूपए 10 पैसे आंका जा रहा है। महायुति सरकार की लाडली बहना योजना के विकल्प मे स्मार्ट मीटर योजना से ग्राहको का होने वाले आर्थिक शोषण को विपक्ष भुना सकता है। पता नहीं क्यों ? सदन के भीतर और सड़क पर विपक्ष सरकार के खिलाफ़ खामोश है।
जीरो की मनमानी से ग्राहक परेशान:- बिजली बोर्ड संबंधी सबसे बड़ी शिकायत होती है उनके कर्मियों की लापरवाही। मंत्री गिरीश महाजन के जामनेर मे गिरिजा कॉलोनी नाम का पॉश इलाका है। यहां आए दिन ट्रांसफार्मर का फ्यूज निलंबित होता है, लोग बिजली बोर्ड के सरकारी मोबाइल नंबर पर कॉल करते थक जाते है। खुद बोर्ड कार्यालय जाने के बाद जीरो के साथ नियमित लाइनमैन ड्यूटी निभाने आते है। जिस मॉडल के आधार पर बारामती ने खुद को विकसित किया उस जामनेर मे इतनी छोटी बात से जनता को परेशान होना पड़े यह नेतृत्व के प्रभाव पर कई सवाल उठाते है इसकी जड़ सरकारी कर्मचारियों के तबादलों का अभाव है।
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