अशफ़ाक़ क़ायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
शेखावाटी जनपद के मुस्लिम समुदाय मे राज्य के अन्य इलाकों के मुस्लिम समुदाय के मुकाबले शैक्षणिक स्तर अच्छा व उच्च माना जा सकता है। लेकिन शेखावाटी जनपद के वतन भाइयों के मुकाबले शैक्षणिक स्तर फिर भी कमजोर माना जा रहा है। खासतौर पर जनपद की अंग्रेजी माध्यम की महंगी स्कूल कालेज मे मुस्लिम बच्चे सिमित संख्या मे शिक्षा पा रहे हैं।
खुशी की बात यह है कि सीकर शहर में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक संस्थाओं ने भी मोहल्लों में अंग्रेजी की अहमियत समझते हुये अंग्रेजी माध्यम की स्कूल कालेज खोलना शुरु कर दिया है। जिनमें अन्य काफी महंगी स्कूलों के मुकाबले इन स्कूलस मे सस्ती फीस मे अच्छी शिक्षा मिलने से अब नया सवेरा होना माना जा रहा है।
सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय के जो लोग मुम्बई सहित दिशावर मे परिवार सहित रहते थे। उनके अधिकांश बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा पाया करते थे। लेकिन सीकर शहर में रहने वाले परिवारों में यह चलन काफी कमजोर हुवा करता था। करीब तीस साल पहले वाहिद चोहान ने एक तरह से मुस्लिम मोहल्ले के करीब अंग्रेजी माध्यम की स्कूल खोलकर जबरदस्त शुरुआत की थी। वाहिद चौहान द्वारा संचालित उस एक्सीलेंस गर्ल्स स्कूल व कालेज मे आज भी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा पाने का इंतजाम कायम है।
एक्सीलेंस स्कूल कालेज के बाद बज्म ए अहबाब नामक सामाजिक संस्था ने शहर के रोशनगंज मोहल्ले मे बज्म ए अहबाब सिनियर स्कूल अंग्रेजी माध्यम से कायम किया जो वर्तमान मे अच्छी खिदमात अंजाम दे रहा है। बज्म ए अहबाब स्कूल मे लड़के व लड़कियों के पढने का इंतजाम है। वही एक्सीलेंस मे केवल लड़कियों के पढने का इंतजाम है।
सीकर शहर में मुस्लिम समुदाय द्वारा संचालित सबसे पूरानी इस्लामिया स्कूल प्रबंध समिति ने भी न्यू रोशनगंज मोहल्ले में अंग्रेजी माध्यम स्कूल की बुनीयाद आज रखी है। मुस्लिम व्यक्तियों व संस्थाओं द्वारा संचालित अंग्रेजी माध्यम की स्कूलस के अलावा शहर मे वतन भाइयों द्वारा संचालित प्रिंस स्कूल, वर्धमान स्कूल, इम्मानुएल मिशन स्कूल, सेंट मेरी स्कूल सहित अनेक अंग्रेजी माध्यम स्कूलस मे बहुतायत मे मुस्लिम बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे है। सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे मे भी आजाद सिनियर स्कूल प्रबंध समिति अलग से अंग्रेजी माध्यम की स्कूल चलाते हैं।
कुल मिलाकर यह है कि अंग्रेजी की महत्ती आवश्यकता को समझते हुये सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की अनेक सामाजिक संस्थाओं ने मुस्लिम बस्तियों में अलग से लड़कियों व लड़कों के लिये अंग्रेजी माध्यम की स्कूल कालेज खोलने का सिलसीला जो शुरू किया है उसके सार्थक परिणाम आते नजर आने लगे हैं। उम्मीद करनी चाहिए की इंशाअल्लाह यह इदारे आगे चलकर और अधिक सार्थक परिणाम देंगे।
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