नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
लोकसभा में बजट सत्र पर दस साल के बाद चर्चा हो रही है। कोविड , नोटबंदी , GST , महंगाई , बेरोज़गारी इस सच्चाई को लेकर सरकार अपने बुने चक्रव्यूह में फंस चुकी है। कोविड ने नौकरशाही को बेलगाम कर जनता को नुकसान पहुंचाया है। हम बात कर रहे हैं नाशिक सूचना आयुक्त कार्यालय में आयुक्त के पद पर बैठे महाशय की उनके पास फैसले लिखने तक के लिए समय नहीं है। मंत्रालय में विधि और न्याय विभाग के असिस्टेंट सेक्रेटरी रहे भूपेंद्र गुरव ने बतौर सूचना आयुक्त नवंबर 2023 तक के फैसले लिख कर आदेश पोस्ट किए हैं।कोविड के बाद 2021 में वीडियो कांफेरेंसी से अपील केसेस पर सुनवाईयां हुईं। 2022-2023 में आयोग ने नियमित रूप से प्रत्यक्ष ऑफ लाइन कामकाज शुरू किया। 2023 के अपील 2024 में सुने गए मजे की बात यह है कि 2022 के अपील केसेस के फैसले नवंबर 2023 तक लिखे जा चुके है। मतलब 2024 में सुने गए केसेस के फैसले 2025 के नवंबर तक लिखे और दोनों पक्षों को अवगत करवाए जायेंगे। इस बीच जिस अधिकारी के खिलाफ़ आप सूचना आयुक्त के पास गए हैं वो अलग अलग में से किसी एक करेंसी का इस्तेमाल कर राजनीतिक संरक्षण में अपना कार्यकाल पूरा कर प्रमोशन के साथ तबादला कर चुका होगा या फिर रिटायर्ड हो गया होगा।
कथित भ्रष्टाचार को बड़ी सफाई से दबाने का सबसे आसान तरीका यही हो सकता है। इन विषयों को भी लोकसभा में उठाया जाना इस लिए ज़रूरी है क्योंकि राज्य सरकारों ने अफसरशाही का ये निकम्मा सिस्टम कोविड की आड़ में पूरे देश में सींचा। इसमें भाजपा शासित राज्यों का ट्रैक रेकॉर्ड काफ़ी खराब है। RTI पर सुप्रीम कोर्ट अपने एक आदेश में लिखती है कि ” सूचना का स्व प्रकटीकरण आरटीआई का हृदय , आत्मा है ” तो क्या सूचना आयुक्त उनके आयोग से जुड़ी कमियां खामियों की जानकारियां सार्वजनिक करेंगे? महाराष्ट्र में सेवा हमी (गारंटी) कानून है सूचना आयोगों को इसके अंदर लाना चाहिए। महाराष्ट्र विधानसभा सदन का दुर्भाग्य है कि संसदीय लोकतंत्र का “स” नहीं समझने वाले विधायक पार्टी में उनकी सिनियरिटी के कारण सरकार में मंत्री बनाए जाते हैं जो हाउस में अपने बड़बोले नेता को हुड़दंग मचाते हुए कवर फायर देते हैं। प्रदेश में चार सूचना आयुक्त है इनके सभी दफ्तरों में फाइलों का ढेर लगा पड़ा है, अकेले नासिक में दिसंबर 2023 में 1 लाख 15 हजार 524 अपील पेंडिंग थे। इस अव्यवस्था की संसद की लोकलेखा समिति की ओर से ऑडिट कराने की मांग की जा रही है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.