वाकोद के बाद जनता को भारी पड़ेगा अजंता ब्रिज गतिरोध का वैकल्पिक मोड़, गहरी नींद सो रही है महाराष्ट्र सरकार | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

वाकोद के बाद जनता को भारी पड़ेगा अजंता ब्रिज गतिरोध का वैकल्पिक मोड़, गहरी नींद सो रही है महाराष्ट्र सरकार | New India Times

National Highway 753 F 150 किलोमीटर का एक ऐसा प्रोजेक्ट जो बीते 12 साल से पूरा हि नहीं हो पा रहा है। औरंगाबाद सीमा में फेज टू का निर्माण दिन प्रति दिन जटिल बनता जा रहा है। आज भी 25 किलोमीटर सीमेंट सड़क बनानी शेष है उसमें नदियों पर बने पुराने पुल जानलेवा साबित हो रहे हैं। वाकोद के पास वाघुर नदी का पुराना ब्रिज जर्जर हुआ तो ट्रैफिक को महीनों तक फत्तेपुर, तोंडापुर, शेंदूर्णी सोयगांव रास्ते मोड़ा गया। अब अजंता गांव के पास वाला नदी पर बना पुराना ब्रिज किसी भी समय दुनिया को अलविदा कह सकता है। अगर ब्रिज गिरता है तो इस रूट के ट्रैफिक को दूसरे रास्ते से मोड़ना आम जनता की जेब पर सरकार की ओर से सोच समझ कर डाका डालने जैसा होगा। इस मुख्य सड़क का वैकल्पिक मोड़ अजंता बुलडाना जालना हो कर औरंगाबाद पहुंचेगा। जैसा कि हमने बताया कि औरंगाबाद सीमा में 753L राजमार्ग के तमाम नए पुलो का निर्माण बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।

महाराष्ट्र सरकार गहरी नींद सो रही है उसे सपनो मे सत्ता की “लाडली कुर्सी” दिखाई पड़ रही है। हमारे सहयोगी महेश ने अजंता पहुंचकर बताया कि पुराने ब्रिज के बैरिकेट्स टूट चुके है, हेवी वाहनों को सावधानी से ब्रिज पास करवाया जा रहा है। मूसलाधार बारिश से नदी मे बाढ़ आई तो किसी भी समय बड़ा हादसा घट सकता है। वो आगे बोलते है कि वाकोद के पुराने ब्रिज को जबरदस्ती रिपेयर कर यातायात के लिए शुरू किया गया है। ज्ञात हो 753F के इस फेज का निर्माण निहायत हि घटिया किस्म का है। सीमेंट सड़क पर जगह जगह पर पानी भरा हुआ है, बॉक्स उखड़ चुके है। National Highway Authority of India जांच के नाम पर क्या ? कर रही है। 8 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट ने किस पार्टी को कितना इलेक्टोरल बॉन्ड दिया यह गुलदस्ते में है। उद्धव ठाकरे सरकार के समय ठेकेदारों के लंबित बिलो से मिलने वाले अपने कट के लिए छाती पीटने वाले वर्तमान मंत्री उक्त अव्यवस्था पर मुंह में दही जमाकर बैठे हैं।


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