इदरीस मंसूरी, गुना (मप्र), NIT:
चांचौड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले कई शासकीय स्कूलों की स्थिति अब मरम्मत के अभाव में बदहाल हो चुकी है जिसके चलते स्कूलों के छात्र छात्राओं को भय बना रहता है ग्राम बरखुआ खुर्द के शासकीय प्राथमिक विद्यालय, ग्राम गोविंदपुरा के शासकीय नवीन माध्यमिक विद्यालय मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल हैं। हालत यह है कि किसी स्कूल की छत से पानी टपक रहा है तो किसी की दीवार और छत से प्लास्टर टूटकर नीचे गिर रहा है।
तेज बारिश में पानी कमरों में आ जाने से में बच्चों का वहां पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है। ऐसे भवनों में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। ग्राम बटावदा के शासकीय स्कूल नदी किनारे होने के कारण बरसात के दिनो मे अक्सर पानी भर जाने की खबरे आम हो गई है जिसके बावजूद भी शिक्षा विभाग का इस और कोई ध्यान नही है। क्षैत्र में ऐसे कई साल पुराने इन भवनों में स्कूल संचालित करना वहां के स्टाफ के लिए अब मुश्किल भरा हो गया है। कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी देने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के लगभग एक माह बाद तक भी स्कूल की मरम्मत तो दूर की बात उसकी दशा और अवस्था के बारे में सुध तक नहीं ली जा रही है।
अध्यापन कार्य मुश्किल
कस्बे के अंतर्गत बटावदा के शासकीय स्कूल की स्थिति बहुत खराब बताई जाती है ग्रामीणों ने बताया कि तेज़ बारिश होने से कई बार स्कूल में पानी भर जाता है, जिसके कारण स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होता है पिछले कई वर्षो से इस स्कूल के यही हालात बने हुए है। बरखुआ खुर्द और गोविंदपुरा के शासकीय स्कूलों में बरसात के दिनों में अध्यापन कार्य करा पाना मुश्किल हो गया है इन स्कूलों की छत जर्जर स्थिति में है जिसके कारण बरसात में पानी टपकता है, कही प्लास्टर गिरता है जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई नही हो पा रही है ग्रामीणों व अभिभावकों ने बताया की हमे हर वक्त हादसों का डर सताता रहता है कस्बे के अंतर्गत करीब आधा दर्जन से अधिक स्कूल मरम्मत के अभाव में जर्जर हाल में हैं।
विकासखंड में अधिकांश स्कूलों के भवन पुराने
गौरतलब है की विकासखंड के अधिकांश भवन कई वर्ष पुराने हैं। जिनकी मरम्मत की ओर कई साल तक ध्यान न दिए जाने से अब इन इमारतों ने जबाब दे दिया है। अधिकांश भवनों की छत टपकने लगी है तो कहीं प्लास्टर गिर रहा है। यहां हालत ये है कि बारिश होने पर पानी भवन में भरने लगता है। साथ ही छत और दीवारों से चलती कक्षाओं में प्लास्टर टूटकर बच्चों के ऊपर गिर पड़ता है। जिससे कई बार बच्चे चोटिल भी हो जाते हैं। बारिश में इन भवनों में स्कूल संचालित करना मुश्किल हो जाता है। कई अन्य स्कूलों के भवन की हालत खस्ता होकर गिरने की कगार पर है जिन्हें मरम्मत कराए जाने की जरुरत है।
अभिभावकों में डर व्याप्त
सरकारी स्कूलों में मरम्मत की ओर ध्यान न दिए जाने से पिछले कुछ दिनो पहले ग्रीष्मकालीन समय में एक स्कूल का छत भरभरा का गिर गया था, गनीमत रही की उस समय स्कूल में कोई नहीं था वर्ना एक बडा हादसा हो सकता था, फिलहाल इन स्कूलों की स्थिति देखते हुए अभिभावकों में नाराजगी है और मरम्मत की मांग उठाई है इन स्कूलों की छत की हालत इतनी खराब बताई जाती है, जिसके गिरने की हमेशा आशंका बनी रहती है।
इनका कहना है
स्कूल के छत की हालत काफी खराब है पिछले कई सालों से समस्या आ रही है इस संबंध में वरिष्ट अधिकारियों को कई बार लिखित में आवेदन दे चुका हुं लेकिन वो बताते हैं की बजट आयेगा तब मरम्मत करवा देंगे।
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