1 लाख करोड़ के सड़क प्रोजेक्ट्स: आंध्र प्रदेश की तरह दिवालिया घोषित होने की कगार पर महाराष्ट्र सरकार | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

1 लाख करोड़ के सड़क प्रोजेक्ट्स: आंध्र प्रदेश की तरह दिवालिया घोषित होने की कगार पर महाराष्ट्र सरकार | New India Times

लोकसभा चुनाव में पराजित हो चुकी भाजपा ने महाराष्ट्र में अपनी गैर कानूनी सरकार को जनमत के सहारे सत्ता में वापसी के लिए सरकारी तिज़ोरी को कार्पोरेट के हाथों गिरवी रख दिया है। अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले शिंदे – फडणवीस सरकार ने एक लाख करोड़ रूपए के 6 Siment Express Way Corridor प्रोजेक्ट्स प्रक्रियाधीन कर रखे हैं। महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन अंतर्गत 90 हजार करोड़ रूपए की लागत से प्रस्तावित उक्त प्रोजेक्ट्स के ठेके उन कंपनीयों को दिए जाने हैं जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से भाजपा को करोड़ों रुपए का चुनावी चंदा दिया है। इनमें नवयुगा , मेघा , ओरिएंटल , GR इन्फ्रास्ट्रक्चर , रोडवेज , L&T शामिल है।

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प्रोजेक्ट का ब्योरा कुछ इस तरह से 1) नागपुर – चंद्रपुर दूरी 194 km अनुमान 9,676 करोड़ प्रदान किए जाने है 12,309 करोड़ रूपए , 2) जालना – नांदेड़ 184 km अनुमान 11,441 करोड़ , प्रदान किए जाने है 15,464 करोड़ रूपए 3) नागपुर – गोंदिया 127 km अनुमान 7400 करोड़ , प्रदान किए जाने है 10,746 करोड़ रुपए 4) भंडारा – गोंदिया 24 km 2188 करोड़ रूपए 5) पुणे ईस्टर्न – वेस्टर्न रिंग रोड 136 km , अनुमान 16,618 करोड़ , प्रदान किए जाने है 22,799, करोड़ रूपए 6) विरार – अलीबाग 96 km अनुमान 20,000 करोड़ , प्रदान किए जाने है 26,298 करोड़ रुपए। कॉरीडोर के लिए सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक , तकनीकी मंजूरी , प्रशासनिक मंजूरी , भूमी आबंटन जैसी कोई नीतिगत पहल नही करी गई सीधा टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर ठेकेदारों को कार्यारंभ फंड जारी कर दिया गया है।

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राज्य का बजट साढ़े चार लाख करोड़ रूपए का है, हर साल रिजर्व बैंक से 70 हजार करोड़ रूपए ऋण लेने की राज्य सरकार की हैसियत है। 2014 से अब तक महाराष्ट्र सरकार पर 8 लाख करोड़ रूपए का कर्ज़ हो चुका है। आंध्र प्रदेश की तरह महाराष्ट्र को आर्थिक रूप से दिवालिया राज्य घोषित होने की राह पर ले जाया जा रहा है। PWD के कई पुराने प्रोजेक्ट फंड्स के अभाव से अधर मे लटके है, ठेकेदार लॉबी कई बार सड़क पर उतर चुकी है। ज्ञात हो कि जिन कंपनियों को उक्त ठेके दिए गए हैं उनमें से कई को स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर के लिए 29 हजार करोड़ रुपए के ठेके दिए जा चुके हैं।


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