नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

ग्राम पंचायत, नगर परिषद और महानगर पालिका इन लोकल बॉडीज को सबसे अधिक पैसा खर्च करने और कमाने का मौका पेयजल आपूर्ति और ड्रेनेज सिस्टम से मिलता है। नालों में कचरा और बारिश का पानी भरने के बाद पेपर के कोने में छोटी सी खबर देकर कट्टर ईमानदारों की ओर से चंद पैसे के लिए सिस्टम की दलाली की जाती है। सोमवार सुबह जलगांव के भुसावल और जामनेर ब्लॉक मे दर्ज की गई 25/25 mm बारिश ने प्रशासन का सारा झूठ नंगा कर दिया। जामनेर से भुसावल जाने वाली सड़क का डामर काम भरी बारिश में किया जा रहा था। यही नहीं PWD के जिला स्तर के एक विवादित शीर्ष अधिकारी सरकारी गाड़ी से नेतागिरी झाड़ने के लिए इसी सड़क की सैर पर थे। बारामती बनाने के नाम पर बार बार ठगे जा रहे जामनेर के तमाम नाले चालीस मिनट की बारिश से मृतप्राय हो गए। कांग नदी में कुछ घंटे के लिए जहरीले काले पानी की तेज़ लहर दौड़ पड़ी, मतलब साफ़ है शहर का ड्रेनेज सिस्टम फेल साबित हो गया है।

70 करोड़ रूपए की सुरंगी नाली योजना कमीशन और चहेते नेता के मिशन इलेक्शन की भेंट चढ़ाई गई। बीते 35/40 साल में नालों के रखरखाव और निर्माण पर 50 से 70 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं। एक मुख्य सड़क के भीतर पेड़ लगाकर सिटी के एक हि हिस्से को चमकाने का प्रयास करना विकास का अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ सांप्रदायिकीकरण करना है। मिनी बारामती का मुस्लिम बहुल इलाका विकास से काट दिया गया है। जिले के निकायों की तुलना में विकास के बारे में जामनेर पूरे 25 साल पीछे चल रहा है, आज भी यहां के नागरिक RO सेंटर से पीने का पानी खरीद कर पी रहे है।
मंत्री जी ने की बैठक: जलगांव के प्रभारी मंत्री गुलाबराव पाटील ने आज जिला परिषद में प्रशासन की बैठक बुलाई। सरकार की योजनाएं, खेती किसानी से जुड़ी शिकायतो का निपटारा, फ़सल बीमा, ग्रामीण इलाकों में चल रही योजनाओं का ब्योरा लिया गया। ज्ञात हो कि गुलाबराव पाटील ने मंत्री होने के नाते अपनी प्रतिक्रिया मे 20 जून को जामनेर पुलिस स्टेशन पर हुए हमले के बारे में एक शब्द तक नहीं कहा है। सरकार और विपक्ष ने साथ मिलकर जामनेर थाने पर किए गए हमले का मामला रफादफा कर दिया है। विधायिका ने इतना रिस्क लेकर आखिर किस को क्यों किस लिए बचाया ? यह रहस्य हमेशा बरकरार रहेगा।
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