नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
कोरोना महामारी के एक साल बाद रेहड़ी पटरी वालों की जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने PM स्व-निधि योजना लॉन्च की। ठेला धारकों को 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक बिना गारंटी का ऋण दिया गया। शिंदे-फडणवीस सरकार ने मानसून में गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण हटाने के नाम पर रेहड़ी पटरी वालों को सड़कों से खदेड़ दिया। महाराष्ट्र में सड़कों के किनारे ठेला लगाकर पेट भरने वाले 30 लाख परिवार दो जुन की रोटी के लिए रोजगार की खोज में भटकने को मजबूर कर दिए गए हैं।स्व-निधि के ऋण की किश्ते भरने के लिए पैसा कहा से और कैसे आएगा यह चिंता रेहड़ी पटरी वाले गरीब लाभ धारकों को सता रही है। तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस सरकार के कारण विगत साढ़े तीन साल से राज्य में निकायों के आम चुनाव नहीं हो सके हैं जिसके चलते प्रशासक राज में अधिकारी तानाशाह बनकर उभरे हैं। जामनेर में रेहड़ी पटरी हटाकर तीन हफ़्ते गुजर चुके हैं। 500 परिवार अपने ही गांव में मुहाजिरों की जिन्दगी जीने को विवश कर दिए गए हैं। मंत्री गिरीश महाजन जामनेर को बारामती जैसा आधुनिक और विकसित बनाना चाहते हैं जो अच्छी बात है लेकिन इसके लिए नेताजी के मनचाहे प्यारे विकास को सामाजिक कल्याण के अनगिनत पहलुओं में से किसी एक पैमाने की कसौटी पर खरा उतरना होगा। रेहड़ी वालों के मामले को लेकर NCP (शरदचंद्र पवार) ब्लॉक इकाई ने नगर परिषद में हल्ला मचाकर राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश की।
BOT में धनवानो को सम्मान: 2012 पृथ्वीराज चव्हाण सरकार की BOT नीति के तहत जामनेर में सरकारी जमीनों को समझौते के आधार पर निजी हाथों से विकसित कराया गया। इन पर बने शॉपिंग मॉल में धनवानों को सम्मान दिया गया। आज भी यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है शेष जमीनों का विकास अधर में लटका है। इन्हीं में से या फिर निगम की मिल्कियत वाली जमीन पर म्युनिसिपल मार्केट बनाया गया तो हॉकर्स की समस्या पर हमेशा के लिए समाधान निकाला जा सकता है।
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