एनएसयूआई नेता रवि परमार ने अधिकारियों एवं नर्सिंग माफियाओं की सांठ-गांठ से नर्सिंग कॉलेजों में घोटाले का लगाया आरोप | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

एनएसयूआई नेता रवि परमार ने अधिकारियों एवं नर्सिंग माफियाओं की सांठ-गांठ से नर्सिंग कॉलेजों में घोटाले का लगाया आरोप | New India Times

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग महाघोटाले में एक के बाद एक नए मोड़ आ रहे हैं। घोटाले में CBI अफसरों की संलिप्तता उजागर होने के बाद अब पूरा जांच सवालों के घेरे में है। इसी बीच अब नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर रवि परमार ने वर्तमान चिकित्सा शिक्षा मंत्री व डेप्युटी सीएम राजेंद्र शुक्ला को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
मंगलवार को एनएसयूआई नेता रवि परमार ने नर्सिंग कालेज घोटाले मामले में पत्रकारों से चर्चा के दौरान दावा किया कि आज भी मंत्री और अधिकारियों के संरक्षण में प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाला हो रहा है।
रवि ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2021 में जिन कॉलेजों में प्राचार्य और फैकल्टी न होने के अभाव में मान्यता एवं संबंधता खत्म कर दी गई थी 04 जुलाई 2024 को उनमें से 8 कॉलेजों को एकबार पुनः मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा संबद्धता दे दी गई है जो प्रदेश के छात्रों के साथ छलावा है। उन्होंने संदेह जताते हुए कहा कि इसमें कही न कही विभागीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल की संलिप्तता है।

परमार ने बताया कि अगस्त 2023 में फर्जी फैकल्टी में दोषी पाए जाने पर 19 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त की गई थी। वहीं जब मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर की मार्च 2024 में कार्य परिषद की बैठक हुई थी स्पष्ट उल्लेख हैं कि 08 नर्सिंग महाविद्यालय ऐसे हैं जिनकी मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) द्वारा सत्र 2022-23 की मान्यता निरस्त की जा चुकी है। उसके बाद 4 जुलाई 2024 को फिर मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने कार्य परिषद के मिनिट्स जारी किए उसमें उन 8 कालेजों को मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल की मान्यता का हवाला देते हुए संबंध्ता जारी कर दी गई। वहीं सरदार पटेल कॉलेज आफ नर्सिंग रतलाम को 60 सीटों के लिए संबंध्ता दी गई थी लेकिन फिर नियम विरुद्ध 30 सीटों की वृद्धि कर दी गई।

रवि परमार ने आगे बताया कि लॉर्ड बुद्धा कॉलेज ऑफ पैरामेडीकल, रीवा में निरीक्षण के समय प्रिंसिपल और फैकल्टी की कमी पाए जाने पर निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर सत्र 2021-22 हेतु 08.01.2024 की विद्यापरिषद एवं 09. 01.2024 की कार्य परिषद में अमान्य किया था। 12.02.2024 में महाविद्यालय आंख कड द्वारा वि.वि. में शपथ पत्र प्रस्तुत किया कि फैकल्टी की कमीपूर्ति कर ली गई है। प्रकरण पुनः 28.02.2024 विद्यापरिषद में प्रस्तुत किया गया लेकिन पूर्व बैठक के निर्णय को यथावत रखते हुए सत्र 2022-23 हेतु निरीक्षण कराने का निर्णय लिया गया। लेकिन दिनांक 06.05.2024 को पुनः महाविद्यालय द्वारा पत्र प्रस्तुत किया गया और फैकल्टी की सूची को भी नोटराइज्ड कर प्रस्तुत किया गया साथ ही सूचित किया गया कि उक्त महाविद्यालय को पैरामेडीकल काउंसिल की मान्यता प्राप्त है और BMLT-36 DMLT-09 छात्रों की सूची संलग्न किया गया है।

परमार के मुताबिक उक्त महाविद्यालय द्वारा यह भी सूचित किया गया कि सत्र 2022-23 की M.P. Paramedical से मान्यता अभी लंबित मतलब सिर्फ एक शपथ पत्र के आधार पर जिस कालेज के पास 3 साल से प्रिंसिपल और फैकल्टी नहीं था उसको संबंध्ता दे दी गई। परमार के मुताबिक ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं ऐसे कई फर्जी नर्सिंग और पेरामेडिकल कालेजों को विवि द्वारा संबद्धता जारी की गई हैं ।‌

परमार ने कहा कि इन सभी तथ्यों से स्पष्ट हो चुका हैं कि सरकार नर्सिंग कॉलेज घोटाले में संलिप्त दोषियों के साथ हैं क्योंकि सरकार नर्सिंग कॉलेजों के दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है। जबकि मध्य प्रदेश के लाखों छात्र छात्राओं की सरकार को कोई चिंता नहीं हैं। उन्होंने हैरानी जताई कि जांच के बावजूद नर्सिंग कॉलेजों को फर्जी मान्यता दिया जा रहा है। परमार ने कहा कि जल्द ही इस मामले में वह शामिल भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के नाम उजागर करेंगे।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading