विधानसभा का काउंट डाउन शुरू, मंत्रियों की ओर से अपने अपने प्रभाव वाले ब्लॉक क्षेत्र में ताबड़तोड़ दौरे, लाडली बहना योजना से भाजपा को उम्मीद | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

विधानसभा का काउंट डाउन शुरू, मंत्रियों की ओर से अपने अपने प्रभाव वाले ब्लॉक क्षेत्र में ताबड़तोड़ दौरे, लाडली बहना योजना से भाजपा को उम्मीद | New India Times

अक्टूबर 2024 को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। लोकसभा चुनाव मे डेढ़ दर्जन केंद्रीय मंत्रियो की विकेट ले चुकी जनता मे राज्य सरकार मे शामिल नाकाम मंत्रियो को हरवाने का जज़्बा नजर आने लगा है। इसी भय से सभी मंत्री अपने अपने प्रभाव वाले निर्वाचन क्षेत्रो मे ज्यादा समय बिता रहे है। शिंदे-फडणवीस सरकार मे तीसरे नंबर के नेता गिरीश महाजन ने गृह नगर जामनेर में जन संपर्क अभियान काफ़ी सघन कर दिया है। मानसून सत्र अवकाश मे घर पधारे मंत्री महाजन ने एक धार्मिक प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित पौधा रोपण कार्यक्रम मे हिस्सा लिया। पांच साल देरी से चल रहे BOT प्रोजेक्ट का अंग सरकारी विश्राम गृह के निर्माण का जायजा लिया। तहसील भाजपा की विस्तृत बैठक को संबोधित किया कहा कि महायुति 175 सीटें जीतेगी।

विधानसभा का काउंट डाउन शुरू, मंत्रियों की ओर से अपने अपने प्रभाव वाले ब्लॉक क्षेत्र में ताबड़तोड़ दौरे, लाडली बहना योजना से भाजपा को उम्मीद | New India Times

ज्ञात हो कि महाजन ने कांग्रेस गठबंधन को लोकसभा की एक भी सीट देने से मना कर दिया था नतीजों में भाजपा को 14 सीटो के घाटे के साथ मात्र 09 सीट मिली। व्यस्ततम कार्यक्रम के दौरान महाजन ने पार्टी वर्कर्स की ओर से चलाए जा रहे लाडली बहना योजना के दफ्तर पहुंचकर महिलाओं से संवाद स्थापित किया। इसके अलावा उन्होंने कई जगहों पर हाजरी लगाई होगी। वैसे शातिर नेताओं की एक खासियत यह होती है कि मीडिया के माध्यम से करवाए जाने वाले व्यक्तित्व विकास का प्रयोग वो नेता से राजनेता बनने के लिए करते हैं। लेकिन अपने निर्वाचन क्षेत्र की जमीनी हकीकत से वह बखूबी परिचित होते हैं। जामनेर सीट से गिरीश महाजन सातवीं बार मैदान में होंगे। विरोधी दल के लचर संगठन और मजबूत उम्मीदवार के अभाव इन दो कारणों को महाजन की निरंतर लोकप्रियता का आधार माना जाता है। लाडली बहना योजना से भाजपा को महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी की उम्मीद है। महाराष्ट्र भाजपा के चुनावी निर्णयों को कांग्रेस के मेनिफेस्टो की नकल के तौर पर देखा जाने लगा है।


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