आरोपी को पकड़ने का क्रेडिट लेने के चक्कर में हिरासत वाले फोटो शेयर करने की गलती से मचा गदर, मामले की निष्पक्ष जांच के लिए SIT के गठन की मांग | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

आरोपी को पकड़ने का क्रेडिट लेने के चक्कर में हिरासत वाले फोटो शेयर करने की गलती से मचा गदर, मामले की निष्पक्ष जांच के लिए SIT के गठन की मांग | New India Times

भाजपा नेता मंत्री गिरीश महाजन के गृह नगर जामनेर में 20 जून को भड़काई गई हिंसा के लिए संपूर्ण रूप से पुलिस हि ज़िम्मेदार नज़र आ रही है। चिंचखेड़ा ग्राम में सात साल की नाबालिक आदिवासी लड़की के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी निर्ममता से हत्या करने वाले फरार आरोपी सुभाष भील को पकड़ने के लिए पुलिस ने सारी ताकत लगा दी थी। इसी दौरान आदिवासी संगठनों और विभिन्न समाजसेवीयों द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। जानकारी के मुताबिक भुसावल तापी नदी किनारे ईट भट्ठे पर तीन चार लोगों के बीच के आपसी अनबन में शामिल सुभाष पहचाना गया। उसे भुसावल बाजारपेठ थाने में लाया गया।

सूचना मिलते हि आरोपी को कब्जे में लेने के लिए दारोगा किरण शिंदे के नेतृत्व में जामनेर पुलिस टीम भुसावल पहुंची वहां आरोपी को हथकड़ी पहनाकर फोटो सेशन कराया गया। फरार आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस महकमे के भीतर प्रमोशन के लिए मेरिट बेस क्रेडिट वाला खेल शुरू हो गया। किसीने आरोपी के फोटोज को सोशल मीडिया पर उस शख़्स के साथ शेयर कर दिए जिसका इस केस से कोई संबंध नही था? उसके बाद यही फोटो समाज में आग की तरह फैल गए , सब दूर यह संदेश पहुंच गया की आरोपी पकड़ा गया है और उसे जामनेर पुलिस स्टेशन में लाया जा रहा है।

गोदी मीडिया ने ढेर सारी मेहनत कर मामले की संवेदनशीलता को भावुकता में बदलकर माहौल को पहले हि विस्फोटक बना दिया था। गांव गांव से आदिवासी समुदाय के लोग भारी संख्या में कोतवाली के पास इकठ्ठा हो कर आरोपी को उनके हवाले सौंपने की मांग करने लगे। जनसंवाद से ज्यादा डंडे पर यकीन रखने वाले किरण शिंदे हुजूम से संवाद स्थापित करने में नाकाम साबित हुए।

देखते हि देखते जमा हुई हजारों की भीड़ ने रात 8 से 11 बजे के दौरान पुलिस स्टेशन का जो हश्र किया है उसका अंदाजा अखबारों में छपी तस्वीरों से लगाया जा सकता है। आरोपी को हिरासत में लिए जाने के बाद जो ग्रुप फोटो क्लिक किए गए वो फोटो आखिर किसने किस को और क्यों शेयर किए? इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए विशेष जांच दल के गठन की मांग की जा रही है। फिलहाल तो इस मसले में पुलिस के रोल को एक लाइन में समझने के लिए ” आ बैल मुझे मार ” यह मुहावरा सटीक है।


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