पुलिस की लापरवाही से तीन घंटे तक बनता रहा फसाद का माहौल, यंत्र में बदला भीड़ तंत्र, पथराव में चार कर्मी घायल | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

पुलिस की लापरवाही से तीन घंटे तक बनता रहा फसाद का माहौल, यंत्र में बदला भीड़ तंत्र, पथराव में चार कर्मी घायल | New India Times

नाबालिक लड़की की हत्या और बलात्कार के आरोपी को घटना के आठ दिन बाद स्थानीय अपराध शाखा द्वारा दबोचने की खबर तेजी से फैलते हि मुजरिम को देखने के लिए सैकड़ों युवकों का हुजूम जामनेर पुलिस स्टेशन के सामने आ धमका। रात 8 से 11 बजे इन तीन घंटों में हुजूम हजारों की भीड़ में तब्दील हो गया। इस भीड़ तंत्र को जामनेर शहर के बेरोजगार उपद्रवियों की ओर से एक विनाशक यंत्र में बदल दिया गया। भीड़ में शामिल आधे से अधिक लोग शराब के नशे में धूत थे। हाथ में लाठी, डंडे, नारियल के पेड़ की शाखाएं, बड़े बड़े पत्थर लेकर चेहरा विहीन गुंडों ने सड़क पर ट्रैफिक जैम में फंसी गाड़ियों को टारगेट करना शुरू कर दिया। इसी दौरान शहर से बाहर डेढ़ किलोमीटर दूर बोदवड रोड के पेट्रोल पंप को अज्ञातों द्वारा आग लगाने का प्रयास किए जाने की खबर है। भीड़ का सारा नंगा नाच जामनेर के बीचोबीच बनाए गए पुलिस स्टेशन के ठीक सामने खुली सड़क पर हो रहा था। असामजिक तत्वों ने पहले टायर जलाए फिर अचानक पुलिस थाने पर हमला बोला और पथराव कर दिया। अधूरे बल के साथ पुलिस ने भीड़ पर बल का प्रयोग करने का निर्णय लेकर भीड़ को और अधिक उकसाने की गलती की।

पुलिस की लापरवाही से तीन घंटे तक बनता रहा फसाद का माहौल, यंत्र में बदला भीड़ तंत्र, पथराव में चार कर्मी घायल | New India Times

जानकारी के मुताबिक भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए पुलिस को हवा में गोलीबारी करनी पड़ी। पुलिस प्रमुख किरण शिंदे समय रहते अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के साथ हुजूम से संवाद स्थापित कर रणनीति के तहत इतना हि बताते की मुजरीम को ज़िला कारागृह में बंद कर दिया गया है तो शायद इतना रायता नहीं फैलता। विदित हो कि किरण शिंदे जनसंवाद और जनसहयोग से पुलिसिंग करने में यकीन नहीं रखते। उक्त तरीके से जिन जिन बातों को पूर्व नियोजित ढ़ंग से अंजाम दिया गया कहीं यह जामनेर में सांप्रदायिक दंगे को भड़काने के षडयंत्र का हिस्सा तो नहीं था ऐसा सवाल आम लोगों की ओर से पूछा जाने लगा है। अतीत के अंधेरे में दफ़न 18 जून 2002 का फसाद आज तक जामनेर भुला नहीं है, अब की बार 20 जून 2024 यह तारीख बनी है यादगार।


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