वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
लगभग 33 हेक्टेयर के जमैठा स्थित तालाब में अवैध खनन के मामले में महिला की मौत के बाद जागे प्रशासन ने संबंधित लेखपाल को तो निलंबित कर दिया लेकिन उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई यह बड़ा सवाल है क्योंकि बिना उच्च स्तरीय अधिकारियों के इतना बड़ा खनन कैसे चल रहा था वहीं दूसरी तरफ बात की जाए तो जिस खनन विभाग की ज़िम्मेदारी है वह कहां सो रहा था। इससे पूर्व में महिला की मौत के बाद संबंधित लेखपाल कमलेश कुमार के माध्यम से ही फरधान थाने में तालाब के पट्टाधारक मनीष निषाद के नाम एफआईआर दर्ज करायी है, इससे ऐसा लगता है कि मनीष निषाद पर एफआईआर दर्ज कराकर उच्च स्तरीय अधिकारी अपना बचाव कर रहे हैं और मनीष निषाद के उपर लेखपाल द्वारा एफआईआर दर्ज करा दी गई जबकि मनीष निषाद का खनन से दूर दूर तक सम्बन्ध नहीं है और वह कोई खनन माफिया नहीं थे जो इतने बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा था वहीं बात की जाए तो इसमें खनन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग की लापरवाही उजागर होती है।
हालांकि अभी तक खनन अधिकारी व शिव कॉलोनी में कई एकड़ की भूमि को पाट रहे प्रॉपर्टी डीलर के विरुद्ध क्या कार्रवाई हुई या क्या जुर्माना लगाया गया इसका पता नहीं है जबकि जांच कर रहे नायब तहसीलदार दिनेश कुमार का कहना है कि उन्होंने नपाई कर खनन अधिकारी को रिपोर्ट दे दी है लेकिन खनन अधिकारी ने क्या कार्रवाई की है यह जांच का विषय बना हुआ है। अब हम खनन के उस मामले पर आते हैं तो मनीष निषाद पर सम्बन्धित लेखपाल ने एफआईआर दर्ज करायी है तो इतना बड़ा खनन हो रहा था तो इसकी जानकारी उच्च स्तरीय अधिकारियों को क्यों नहीं हुई। मुख्यमंत्री का आदेश है कि अधिकारियों को उनके क्षेत्र में रहना चाहिए लेकिन इतने बड़े पैमाने पर खनन का मामला कैसे सभी से छुपा रहा वहीं दूसरी बात यह है कि मनीष निषाद ने एक तालाब की शिकायत पहले की थी जिसको लेकर तहसील क्षेत्र के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा उनके तालाब का पट्टा निरस्त कर दिया था।
मनीष निषाद का कहना है कि सम्बन्धित लेखपाल और राजस्व अधिकारियों सहित खनन विभाग के अधिकारियों को इस खनन की पूरी जानकारी थी।अब बात करते हैं एफआईआर में दर्ज मामले की तो सम्बन्धित लेखपाल ने जो एफआईआर दर्ज करायी है उसमें लिखा है कि 3600 घन मीटर मिट्टी की चोरी हुई है और तालाब में जेसीबी द्वारा एक सप्ताह से मिट्टी की खुदाई हो रही थी तो अब बड़ा सवाल है कि इतने दिन से खनन विभाग के अधिकारी कहाँ थे और राजस्व अधिकारियों सहित ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी क्या कर रहे थे।इससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में पट्टा धारक को विभागीय अधिकारियों द्वारा फंसाया गया है और सबसे ज्यादा इसमें खनन अधिकारी की भूमिका है इस मामले की जांच बड़े स्तर के अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए और जो दोषी मिले उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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