अशफ़ाक़ क़ायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
किसी पीड़ित महिला के थाने में रपट दर्ज करवाने के लिये जाने पर उसके साथ दुर्व्यवहार होने पर उस पीड़ित महिला को इंसाफ दिलाने के लिये स्थानीय सांसद का थाना चले जाने का सीकर के इतिहास में पहली दफा देखने को मिला। जबकि कामरेड अमरा राम को सांसद बने जुमा जुमा आठ दिन ही हुये हैं।
उदादास ढाणी की पीड़ित महिला पहले सांसद कामरेड अमरा राम से मिलकर फिर सीकर के उधोग नगर थाने में अपने शराबी पति के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंची तो वहां तैनात हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश ऐचरा ने शिकायत दर्ज ना करके उसके साथ बदसलूकी की बताते। तत्पश्चात सांसद अमरा राम थाने पहुंच कर सीसीटीवी फुटेज निकलवाये। मामला जिला पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा तो सम्बंधित हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया। सीकर के इतिहास में पहला मामला है कि इस तरह गरीबों-मजलूमों महिला के इंसाफ के लिये सांसद थाने पहुंचा है।
चंद दिनों पहले सांसद चुने गये कामरेड अमरा राम ने जीवन भर गरीब-मजदूर-मजलूम व किसान हित मे संघर्ष किया है। इसी का एक नमूना फिर देखने को मिला है। क्षेत्र के दांतारामगढ़ के सुलियावास गावं की एक गरीब महिला की सीकर शहर स्थित एक निजी अस्पताल में डिलीवरी के समय तबीयत खराब होने पर महिला की मौत होने व उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुये इंसाफ की मांग को लेकर अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन किया।
जिस प्रदर्शन में कामरेड अमरा राम ने भाग लेकर इंसाफ की हुंकार भरी। मृतक की नवजात बच्ची के इलाज के लिये सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा कर एक अच्छा काम किया। इस धरने-प्रदर्शन को लेकर चिकित्सा से जुड़े एक खास तबके में सांसद को लेकर नाराज़गी हो सकती है। लेकिन आम जनता में सांसद अमरा राम की छवि में बड़ा इज़ाफ़ा हुवा बताते हैं। लोग कहते हैं कि जिसका कोई नहीं उसके कामरेड अमरा राम।
इसके अतिरिक्त सीकर-रींगस हाईवे के अखेपुरा टोल नाके पर नियमानुसार नज़दीकी गांवों के वाहनों के टोल छूट होने के बावजूद टोल कर्मियों द्वारा छूट नहीं देने के खिलाफ जारी धरने में सांसद अमरा राम के उपस्थित होकर पीड़ित लोगों को इंसाफ़ मिलने तक संघर्ष करने की कहने के बाद आम मज़लूम लोगों के दिलों में अमरा राम के प्रति मोहब्बत गहरा गई है।
कुल मिलाकर यह है कि राजनीतिक इतिहास में कामरेड अमरा राम को छोड़कर बाकी सभी बने सांसद इस तरह पीड़ित के साथ थाना जाकर उसे इंसाफ दिलाने या फिर धरना-प्रदर्शन में भाग लेने से बचते रहे हैं। वो सांसद अपनी पार्टी द्वारा आयोजित सांकेतिक धरने-प्रदर्शन में भाग लेने तक सीमित रहते थे। अमरा राम को छोड़कर बने सांसदों तक इस कमज़ोर तबके की पहुंच भी मुश्किल होती थी। यदा कदा किसी तरह यह कमज़ोर तबका तिकड़म करके उन तक पहुंच भी जाता था तो उनके बजाय वहीं उनसे उच्च व मज़बूत तबके की सुनवाई पहले होती थी। कामरेड अमरा राम के सांसद बनने से कमजोर-पीडित व मज़लूम लोगों को एक मज़बूत सहारा मिल गया लगता है।
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