अरशद आब्दी / सूरज कुमार, झांसी (यूपी), NIT; “एहसास ज़िन्दा है तो इंसान ज़िन्दा है अन्यथा मुर्दा” इस तरह का इजहार ए ख्याल मौलाना सैय्यद अली अब्बास सुल्तानपुरी ने सुप्रसिध्द समाज सेवी स्वर्गीय श्री सैय्यद कल्बे हैदर आब्दी मरहूम के तृतीय पुन्य तिथि (बरसी) पर उनकी रूह के ईसाले सवाब और परिवार की रूह की तस्कीन के लिये आज “सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा ” इमाम बारगाह नूर मंज़िल झांसी में आयोजित की गई।
जिसमें विभिन्न प्रमुख धर्म गुरुओं सर्व श्री पंडित वसंत विष्णु गोलवरकर, ज्ञानी महेन्द्र सिंह, मा. कैलाश जैन जी ने अपने -2 मतानुसार “ज़िन्दगी और मौत” पर प्रकाश डालते हुये परमार्थ को ही सफल जीवन का एक मात्र उपाय बताया।
संचालन करते हुये सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने समाज सेवी स्वर्गीय श्री सैय्यद कल्बे हैदर आब्दी मरहूम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए किया। उहोंने ने कहा,’ उन्होंने सारा जीवन ‘खिदमते ख़ल्क़, खिदमते-ख़ुदा’ में और सर्वधर्म समभाव में विश्वास किया था। यही कारण है कि उन्होंने अपने पौत्र और पौत्री के विवाह में हर धर्म के रीति रिवाजों के अनुसार आशीर्वाद दिलवाने के उपरांत ही निकाह की रस्म पूरी की। वो कहते थे सर्वधर्म सदभाव केवल भाषणों में ही नहीं बल्कि आचरण में होना चाहिये।
सुल्तानपुर से पधारे मुख्य वक्ता हुज्जातुल इस्लाम मौलाना जनाब मौलाना सैय्यद अली अब्बास रिज़वी ने “ज़िन्दगी और मौत” पर प्रकाश डालते हुये कहा कि “एहसास ज़िन्दा है तो इंसान ज़िन्दा है अन्यथा मुर्दा”।
हज़ारों लोग क़ब्रिस्तानों में सोकर भी ज़िन्दा हैं जबकि हज़ारों लोग ऐसे भी हैं जो आलीशान महलों में रहकर भी मुर्दा हैं। खुदा ने हमें खिदमते खल्क़ के लिये पैदा किया है, दूसरों का दुखदर्द बांटोगे तो ज़िन्दा होने का सुबूत दोगे, मुल्क और पड़ोसी से मोहब्बत करोगे तो ज़िन्दा होने का सुबूत दोगे। नेक काम करो ताकि मौत के बाद भी ज़िन्दा रहो।
उन्होंने आगे कहा,” महिलाओं को आज चरित्र निर्माण की अत्याधिक आवश्यकता है।“ क्योंकि समाज और देश के साथ धर्म की रक्षा की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी महिलाओं पर अधिक है। केवल आधुनिकता न केवल महिलाओं बल्कि समाज और देश का भी नुक़सान कर रही है।
अंत में सभी धर्मगुरुओं ने मिलकर शांति पाठ किया और सबके किये सुख, समृध्दि, शांति और सफलता की प्रार्थना की।
‘हदीसे किसा’ जनाब इं काजिम रज़ा ने पढी। मर्सिया ख़्वानी जनाब हाजी इं0 काज़िम रज़ा, साहबे आलम, अस्करी नवाब और नौहा ख्वानी जनाब अली समर, रानू नक़वी ने की।
“सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा” में शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों, धर्मगुरुओं, समाजसेवियों, राजनीतिज्ञों, पत्रकारों, लेखकों, कवियों, वकीलों, परिवार के शुभचिंतकों, रिश्तेदारों और दोस्तों ने विशाल संख्या में भाग लिया।
“सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा” के बाद तबर्रुक का भी इंतज़ाम किया गया।
“सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा ” में सर्वश्री मुख्तार रज़ा, हाजी तक़ी हसन, हाजी सईद मोहम्मद, आबिस रज़ा, शाकिर अली,सग़ीर हुसैन, ज़मीर अब्बास, सईदुज़्ज़मां, अमीर हुसैन, जावेद अली, जमशेद अली, ग़ुलाम अब्बास, ज़ामिन अब्बास, अज़ीज़ हैदर, निसार हैदर, अतालिक़ आब्दी, डा.शुजाअत जाफरी,
श्रीमती अज़ीज़ फातिमा, नफीसा फातिमा, अनवर जहां, नरजिस ख़ातून, हिना, समरा आब्दी, शीबा रिज़वी, सुल्ताना बाजी, मुमताज़ फात्मा, हयात फातिमा, कनीज़ ज़ेहरा, राज कुमारी अग्रवाल, इरशाद फातिमा, वली बानो, अज़ादार फातिमा, शाहिदा बेगम, ज़ाहिदा बेगम, मुशाहिदा बेगम, मंसूबा फातिमा, अमीर हैदर, मूनिस हैदर, वहीद ख़ान, आर0बी0त्रिपाठी, बाक़र अली ज़ैदी, रामबाबू अग्रवाल,
अब्दुल ग़फूर, सग़ीर मेहदी, रईस अब्बास, ज़ाहिद हुसैन “”इंतज़ार””, क़मर हैदर, वसी हैदर, हाजी कैप्टन सज्जाद अली, रोशन अली, अख़्तर हुसैन, नईमुद्दीन, मुख़्तार अली, ताज अब्बास, ज़ीशान हैदर, अली क़मर, फुर्क़ान हैदर, वसी हैदर, मज़ाहिर हुसैन, आरिफ रज़ा, अरशद आब्दी, सुल्तान आब्दी, इरशाद रज़ा, जाफर नवाब, अली समर, प्रांजुल अग्रवाल, मोहम्मद रज़ा, सबा फातिमा, शाहरुख़ आब्दी, सदफ, अरविन्द बुंदेला, मनोज शर्मा, आशीष पटैरिया, ज़ैनुल रज़ा, राजू आब्दी आदि के साथ बडी संख्या में श्रृध्दालु उपस्थित रहे।
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