एनआईए एक्ट पर परिचर्चा: अवैधानिक कृत्यों के लिए दिया गया चेक, अनादरित होने पर धारा 138 लागू नहीं होती: एडवोकेट अशोक केलदे | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

एनआईए एक्ट पर परिचर्चा: अवैधानिक कृत्यों के लिए दिया गया चेक, अनादरित होने पर धारा 138 लागू नहीं होती: एडवोकेट अशोक केलदे | New India Times

जिला अधिवक्ता संघ बुरहानपुर के सभा कक्ष में संपन्न हुई धारा 138 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट पर परिचर्चा। संगोष्ठी में शामिल हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता भूपेंद्र शुक्ला और जिला न्यायालय खंडवा के वरिष्ठ अभिभाषक अशोक केलदे….।

धारा 138 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय के कई ऐसे न्याय दृष्टांत आ चुके हैं, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अवैधानिक कृत्य जैसे सट्टा, जुआ, लॉटरी या शर्त लगाने वाली बात पर चेक प्रदान करता है तो ऐसे चेक के अनादरण होने की स्थिति में धारा 138 परक्रामय लिखित अधिनियम आकर्षित नहीं होती। यह बात जिला न्यायालय खंडवा में विगत 32 वर्षों से चेक अनादरण के मामलों के प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक केलदे ने जिला न्यायालय बुरहानपुर के  खचाखच भरे सभा कक्ष में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कही।

आपने जूनियर अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अब इस धारणा से बाहर निकलना चाहिए कि 90% परिवादी के पक्ष में ही धारा 138 में न्यायालय के फैसले आते हैं, आपने कहा कि यदि आरोपी की ओर से गहन अध्ययन और लेटेस्ट हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत के साथ आप अपडेट हैं,तो फैसला आरोपी के पक्ष में भी आता है।
अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मेरे  32 साल की वकालत में मैंने अधिकतम आरोपी की ओर से पैरवी की है और कई मामलों में परिवादी का परिवाद पत्र खारिज हुआ है।

इस अवसर पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से पधारे अधिवक्ता भूपेंद्र शुक्ला ने भी धारा 138 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के संबंध में अधिवक्ताओं को नवीन जानकारी देते हुए यह बताया कि धारा 143 A (1) के अंतर्गत जो 20% हरजाना राशि प्रारंभ में ही आरोपी से जमा कराई जाती है, अभी इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में ही एक न्यायदृष्टांत में यह निर्धारित किया है कि वह जमा 20% की राशि यदि आरोपी अंतिम फैसले में बरी भी हो जाता है तो वह राशि आरोपी को वापस नहीं होकर परिवादी को प्राप्त होगी। इस धारा के ऐसे कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अतिथि अधिवक्तागण ने अपने अनुभव से जिलाअधिवक्ता संघ बुरहानपुर के अधिवक्ताओं को लाभान्वित किया।

इस अवसर पर जिला अधिवक्ता संघ बुरहानपुर के अधिवक्तागण में सर्वश्री किशोर असवार,जय चौकसे,आफताब हसन अंसारी,देवानंद तायडे, एडवोकेट संतोष देवताले ने इस धारा से संबंधित प्रश्नोत्तर सत्र के अंतर्गत कई सवाल अतिथि अधिवक्तागण से पूछे,जिनका उन्होंने बहुत ही संतुष्टि पूर्वक जवाब दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता संघ बुरहानपुर के अध्यक्ष एवं सीनियर एडवोकेट यूनुस पटेल ने की। उन्हों ने अपने आभार उद्बोधन में इस कार्यशाला को बहुत ही उपयोगी और कारगर कार्यशाला बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में हर अधिनियम में संशोधन के साथ-साथ वरिष्ठ न्यायालय के काफी नवीन फैसले आ रहे हैं और समय-समय पर जूनियर अधिवक्ताओं को ऐसी जानकारी मिलती रहने से वे वकालत के क्षेत्र में सीनियरों के अनुभव के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

अपने घोषणा की कि हमारा प्रयास रहेगा कि प्रत्येक दो माह में हम कानून के अलग-अलग विषयों को लेकर विशेषज्ञों के साथ ऐसी परिचर्चा और संगोष्ठी आयोजित करते रहेंगे।कार्यक्रम का शानदार संचालन कर रहे अधिवक्ता संघ के सचिव एडवोकेट संतोष देवताले ने अतिथिगण का संघ की ओर से स्वागत अभिनंदन किया इस अवसर पर संघ के उपाध्यक्ष शब्बीर रावलपिंडी वाला एवं सह सचिव हर्षल विस्पुते सहित अधिवक्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


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