निकम्में रजिस्ट्री कार्यालय के खिलाफ़ पहली शिकायत दर्ज, पता नहीं कितने साल से बंद है कंप्यूटर, मंत्री जी के प्रभाव पर उठ रहा है सवाल | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

निकम्में रजिस्ट्री कार्यालय के खिलाफ़ पहली शिकायत दर्ज, पता नहीं कितने साल से बंद है कंप्यूटर, मंत्री जी के प्रभाव पर उठ रहा है सवाल | New India Times

साल 2012 में मैंने घर बनाने के लिए एक ज़मीन खरीदी उसका व्यवहार दुय्यम निबंधक (संपत्ति रजिस्ट्री) कार्यालय जामनेर में पंजीकृत कराया। मुझे पंजीकरण के प्रमाणित दस्तावेज मिले उसके साथ सूची क्रमांक 2 भी दी गई। ज़मीन अपने नाम पर करवाने के लिए सूची 2 जोड़कर गांव के पटवारी के पास प्रस्ताव प्रस्तुत किया। ग्राम पंचायत में इस प्रकार से प्रस्ताव पेश कराने संबंधी मुझे कोई जानकारी नहीं थी जो कुछ साल बाद मालूम पड़ा। मैंने रजिस्ट्री कार्यालय से सूची 2 की मांग की तो बताया गया की 2012 और उसके पहले जितने व्यवहार पंजीकृत करवाए गए हैं उनकी सूची कॉपी इसलिए नहीं दे सकते क्योंकी कंप्यूटर बंद पड़ा है जैसे हि कंप्यूटर शुरू होगा हम आपको फोन करेंगे और सूची की नकल दे देंगे।

आज पूरे तीन महीने बीत चुके हैं मैं दुय्यम निबंधक ऑफिस के चक्कर काट काट कर परेशान हो गया हूं। कार्यालय की ओर से आज तक कंप्यूटर रिपेयर नहीं कराया गया, अधिकारी इस छोटी सी समस्या का समाधान निकालने में आनाकानी कर रहे हैं। यह स्टोरी है जामनेर ब्लॉक के बेटावद निवासी सुपडू जाधव की। उन्होंने इस मसले को लेकर सह जिला निबंधक और जिलाधिकारी जलगांव से लिखित शिकायत की है। जाधव कहते हैं आखिर मैं कब तक चक्कर काटता, निर्धारित समय के भीतर सूची नकल देना संबंधित अधिकारी की ड्यूटी है। विदित हो कि इस समस्या को लेकर New India Time’s ने तीन रिपोर्ट प्रकाशित की, बड़े बड़े ब्रांड और लाखों पाठक होने का दावा करने वाले मराठी अखबारों ने अपने किसी पन्ने के किसी भी कोने में इस खबर को जगह नहीं दी। रजिस्ट्री कार्यालय के निकम्मेपन के खिलाफ़ की गई इस पहली शिकायत का प्रशासन और उसके अधिकारियों पर कोई असर होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।

गिरीश महाजन के प्रभाव पर उठ रहे सवाल

किसी जमाने में जनता की सरकारी दफ्तरों से जुड़ी समस्याओं को लेकर धुवाधार आंदोलन करने वाले विधायक गिरीश महाजन के मंत्री बनने के बाद प्रशासन के ऊपर उनका प्रभाव शून्य सा हो गया है। एक दफ्तर का कंप्यूटर कई सालों से बंद है लोग मारे मारे घूम रहे हैं और यह विषय मंत्री जी के कानों तक नहीं पहुंचा हो ऐसा बिलकुल नहीं हो सकता। कार्पोरेट के प्रेम में लीन राजनीति ने आम आदमी को अपने चुने हुए नेताओं की पहुंच से बाहर कर दिया गया है।


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