ताहिर मिर्जा, यवतमाळ (महाराष्ट्र), NIT;
नोट बंदी को 50 दिन पूरे के बाद भी हर शहर ,गांव के लोग अभी भी बैंको के सामने कतारों में नज़र आ रहे है। सरकार की ओर से किसी भी तरहा का कोई खास इंतेज़ाम लोगों के लिए नहीं किया गया है जिससे लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। ऐसा ही मामला उमरखेड शहर के 10 बैंको में देखने को मिल रहा है। इन सभी बैंको में हर रोज़ हज़ारों लोग केश के लेन देन के लिए सुबाह से ही खड़े दिखाई दे रहे हैं। खाताधारकों को हर हफ्ता में सिर्फ 24000 हज़ार रूपए निकालने के नियम से हर आम आदमी अपनी ज़रूरी चीज़े पूरी नही कर पा रहा है। शहर के असपास 80 से अधिक छोटे बडे गांव जुडे हैं। हर रोज़ शहर में सभी गांव के लोग अपने ज़रूरी कामों के लेन देन के लिए उमरखेड के सभी बैंको में आते हैं। इन लोगों में ज़्यादातर संख्या किसानों की है और अब कपास की फसल किसान बाजार में ला रहे हैं तो नोट बंदी से बड़े व्यपारी किसानों की फसलें खरीद ने से डर रहे हैं जिससे इसका का खामियाजा किसानों को भुगताना पड रहा है। शहर के 10 बैंको में खाताधारकों की संख्या:-
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 25000, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद 4000, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया 10,000, महारष्ट्र बैंक 20,000, कोकण ग्रामीण बैंक 20,000, पुसद अर्बन 5000, बुलढाणा अर्बन 4500, वाशीम अर्बन 5000, यवतमाळ अर्बन 8000 और भारतीय मैन्द बैंक 3500, कुल मिलाकर 105000 खाता धारक उमरखेड शहर के बैंको में लेन देन के लिए आते हैं, लेकिन नोट बंदी से इन सभी लोगों लो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि जब तक नए नोट सरकारी की और से नही मिलेंगे तब तक ऐसा ही चलता रहेगा।
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